पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३३६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

छोड़ दिया गया। शेखूपुरामें उस दिन हम लोगोंपर जो-जो बीती, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। हमारे सभी घरोंपर ताले जड़ दिये गये और सभी महिलाओं तथा बच्चोंको बाहर निकाल दिया गया। खेतों में खड़ी फसल जब्त कर ली गई और उसपर पहरा बैठा दिया गया और हमें फसल काटनेसे रोक दिया गया। हमारे गाँवके सभी लोग जानते हैं कि इसके कारण हमें कितना भारी नुकसान उठाना पड़ा। हमें लगातार धमकियाँ मिलती रहीं कि हमारे घरोंमें आग लगा दी जायेगी।

२० अप्रैलको इस गवाहको उसके दो भाइयोंके साथ गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बहनोई [साले?] और उनके एक मित्रको भी गिरफ्तार किया गया, साथमें दो नौकरोंको भी। सरदार अमरसिंहका कहना है कि उनको मेरी खातिर ही सब-कुछ भुगतना पड़ा, सिर्फ इसीलिए कि वे मेरे नौकर थे। और इन पाँचों अर्थात् उनके बहनोई [साले ?], मित्र और दो नौकरों [और खुद अमरसिंह] को बिना कोई मुकदमा चलाये २८ मईको छोड़ दिया गया। सरदार अमरसिंहको २४ मईको शेखूपुरा लाया गया। उनको शिनाख्तके बहाने हथकड़ियाँ पहनाकर लोगोंके सामने पेश किया गया। वे कहते हैं कि यह सब उनको जनताको नजरोंमें बेइज्जत करनेके लिए ही किया गया । २६ तारीखको उनको श्री पैनीके सामने पेश किया गया। लेकिन चूंकि उनके खिलाफ व्यक्तिगत तौरपर कोई सबूत नहीं था, इसलिए उनको रिहा कर दिया गया। (बयान ४९० )

४९२, ४९३, ४९७, ४९९, ५०० और ५०१ नम्बरके गवाहोंने जो बयान दिये हैं उनसे स्पष्ट है कि गौहरसिंह के खिलाफ गवाही देनेके लिए उनपर दबाव डाला गया, या झूठी गवाही देनेके लिए तैयार न होनेपर खुद उनको गिरफ्तार किया गया और निर्दोष होते हुए भी अभियोग लगवाकर सजा दिलवाई गई। सरदार गौहरसिंह अपने मामलेका विवरण खुद उपस्थित करते हुए कहते हैं:

अधिकारी लोग मेरे बेटोंको गिरफ्तार करना चाहते थे। मेरे बेटोंने खुद अपने-आपको उनके हवाले कर भी दिया फिर भी मेरे मकान, अस्तबल और मकानसे लगे हुए दूसरे आवासोंपर आठ दिनतक ताला पड़ा रहा और हमारे मकान तथा खेतोंपर कड़ा पहरा बैठा दिया गया। इस तरह हमें बेघरबार होकर बाहर रहना पड़ा। हमें अपनी फसलकी देखभाल नहीं करने दी गई,इससे फसलको काफी नुकसान पहुँचा। कुल फसलका दो-तिहाई पानेवाले हमारे बटाईदारों को भी इससे नुकसान पहुँचा। इन बेचारे बटाईदारों को नहरी पानीके करकी पूरी-पूरी राशि फिर भी भरनी पड़ी; उसमें कहीं कोई कमी नहीं की गई थी। १७ मईको मुझे फिर गिरफ्तार कर लिया गया और ३० मई,१९१९ को रिहा किया गया।

उनसे कोई कैफियत तलब किये बिना उनको लम्बरदारीसे बर्खास्त कर दिया गया। (बयान ४८८)