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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिया गया और न सफाईकी तैयारी करनेका कोई वक्त ही दिया गया। पहले दिन करीब १०० अभियुक्तोंको सजा दी गई और २-३ घंटेके अन्दर ही उनके फैसले भी लिख दिये गये। (बयान ४४७)

चूहड़खानापर १,५०० रुपये जुर्माना किया गया। मंगलसिंह और उनके भाईको इस मदमें २३० रुपये भरने पड़े। (बयान ४६०) लाला फकीरचन्द जंगलीमलकी फर्मने सेनाके खर्चेके लिए अप्रैल महीनेमें ५० रुपये, दाण्डिक पुलिसके खर्चेके लिए ११४ रुपये और लेफ्टिनेन्ट गवर्नरके स्मारकके लिए २० रुपये अदा किये । दलालका कहना है: यह रकम हमसे जबरन वसूल की गई।" (बयान ४८०)

शेखपुरा

शेखूपुरा एक ऐतिहासिक स्थान है। यह लाहौरसे २५ मील दूर है और गुजरांवाला जिलेमें इसपर सबसे बादमें नजर पड़ती है। इसका नामकरण शाहंशाह जहाँगीरके प्यारके नामपर हुआ है और महाराजा रणजीतसिंहकी रानी नकाइन यहीं रहती थीं। इसकी आबादी लगभग २,५०० है।

शेखूपुराम ६ अप्रैलको हड़ताल रही। हड़ताल स्वयंस्फूर्त और पूर्ण थी। पुलिस सब-इन्स्पेक्टरने जनताको रोकनेकी कोशिश की पर उसका कोई असर नहीं हुआ। शामको एक सभा हुई। अधिकारी भी मानते हैं कि उसमें बड़े संयत ढंगके भाषण दिये गये। सब-डिवीजनल अफसर राय साहब श्रीराम सूदने वकीलोंको बुलाकर धमकियाँ देकर सभाको रोकनेकी कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए। इसके बाद १३ तारीखतक पूर्णतया शान्ति बनी रही। लेकिन अमृतसर और लाहौरकी घटनाओं के समाचारोंका शेखूपुराकी जनतापर असर हुआ और १४ तारीख की सुबह दूसरी स्वयंस्फूर्त और पूर्ण हड़ताल हो गई, पर उसमें भी कुछ अघटनीय नहीं घटा। कहा तो गया है कि उस दिन एक नानबाईकी दुकान जबरन बन्द कराई गई और दुकानदारपर हमला भी किया गया। समरी अदालतके कागजातमें इस सम्बन्धम एक व्यक्तिको सजा देनेके हवालेके बावजूद इस आरोपकी सचाईसे इनकार किया जाता है। हाँ, रातको कुछ अज्ञात व्यक्तियोंने डाक-तार विभाग और रेलवे सिगनलके कुछ तार जरूर काटे। वे लोग शायद शेखूपुराके ही थे।

जो भी हो, हड़तालके फलस्वरूप कोई गड़बड़ी नहीं हुई; फिर भी १९ तारीख को मार्शल लॉ लागू कर दिया गया, और फिर शेखूपुरामें भी वही सब-कुछ हुआ जो अन्य स्थानोंपर हुआ । वकीलोंपर खास नजर रखी गई । उनको खास तौरपर अपमानित किया गया। उनको गिरफ्तार करके ४० दिनतक नजरबन्द रखनेके बाद बिना कोई मुकदमा चलाये या बिना यह बतलाये छोड़ दिया गया कि उनको गिरफ्तार क्यों किया गया था। शेखूपुराकी अपनी एक विशेषता यह रही कि दस वर्षकी अवस्थासे ऊपरके सभी मर्दोंको एक बड़े जमीनके टुकड़ेमें झाड़ू लगानेका हुक्म दिया गया।' ऐसा सिर्फ उनको अपमानित करनेके खयालसे किया गया। उनको तथाकथित जाँच पड़तालके लिए

१. श्री बॉसवर्थ स्मिथके कहनेपर।