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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

अन्धे आदमियोंतक को नहीं बख्शा गया। लद्धामल नामक एक अन्धेसे अपने लड़केको पेश करनेके लिए कहा गया और चूंकि उनका लड़का मौजूद नहीं था, इस- लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें तभी रिहा किया गया जब लड़केकी माँने लड़केको पेश कर दिया। (बयान ४६७)। गनपतमल कहते हैं कि श्री बॉसवर्थ स्मिथने सभी गाँववालोंको जमा होनेका हुक्म दिया और उसका पालन न करनेका दण्ड उनकी सम्पत्तिको आग लगाना या जब्त कर लेना था। वे कहते हैं:

इसलिए सभी लोग डरके मारे दरबार साहबमें इकट्ठे हुए। लँगड़े साहबने पटवारीको जन-गणनाकी रिपोर्ट लाने के लिए कहा। शेखूपुराके डिप्टी लाला श्रीरामने उस रिपोर्टमें से उन लोगोंके नाम पढ़कर सुनाये, जो वहाँ मौजूद नहीं थे। पुलिसके जरिये उनकी स्त्रियोंको बुलाया गया। साहबने हुक्म दिया कि वे अपने पतियोंको पेश करें, नहीं तो उनके मकानोंमें आग लगा दी जायेगी और जमीन जब्त कर ली जायेगी। इस हुक्मके बाद स्त्रियोंको लौट जानेके लिए कह दिया गया और जिन गैरहाजिर लोगोंके भाई या पिता वहाँ मौजूद थे,उनको गिरफ्तार करके ले जाया गया।

वे आगे कहते हैं:

गिरफ्तारशुदा लोगोंको १०-१०, १२-१२ के जत्थोंमें पेश किया गया और उनमें से हरएकको २ सालकी जेल और २०० रुपये जुर्मानेकी सजा सुनाई गई।कोई गवाही नहीं ली गई। सिर्फ उनसे माफी मांगनेके लिए कहा गया जिसपर उन लोगोंने कहा: “हुजूर हम बेकसूर हैं, अगर हमने कुछ किया हो तो माफी दी जाये।" (बयान ४५८)

सरदार हरनामसिंह कहते हैं कि वे ४०० रुपया मालगुजारी अदा करते हैं और उन्होंने ८०० रुपयेकी कीमतके लड़ाईके बॉण्ड (वार बॉण्ड) खरीदे हैं। वे ६० रुपये गृह- करके रूपमें अदा करते हैं। उनके भाई खुशालसिंहको गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने मुकदमा लड़ने के लिए श्री मार्टिनको १,००० रुपयेपर वकील किया। लेकिन वे कहते हैं:

किसीने उनको पैरवी करनेकी इजाजत नहीं दी। वहाँ मौजूद सफाईके गवाहोंकी कोई बात नहीं सुनी गई, और न उनको इजलासमें ही बुलाया गया। खुशालसिंहका मुकदमा ५ मिनटमें निपटा दिया गया।

वे कहते हैं:

सभी समरी मुकदमोंमें बॉसवर्थ खुद या वहाँ मौजूद कोई भी पुलिस इन्स्पेक्टर अभियुक्तोंसे इस तरह बात करता था। “तुम माफी माँगते हो?" अभियुक्त हमेशा इसका यही उत्तर देते थे--"हजूर, हम बेकसूर हैं, हमें माफ किया जाये।" लेकिन फाइलोंमें इसे इस ढंगसे दर्ज किया जाता था जैसे अभि-युक्तने अपना कसूर कबूल कर लिया हो। सफाईका कोई गवाह पेश नहीं होने