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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हवेलीराम कहते हैं:

एक दिन लद्धासिंह चौकीदारने सभी मंडीवालोंको सूचना दी कि दूसरे दिन सुबह सभी लोगोंको कैनाल बँगलेमें हाजिर होना है और जो गैरहाजिर रहेगा उसकी जायदाद जब्त कर ली जायेगी। दूसरे दिन सुबह हम लोग बॅगले-पर पहुँच गये और हमें बिना भोजन-पानीके वहाँ बैठे रहना पड़ा। हम सबको १२ बजे दोपहरको कड़ी धूपमें दो घंटेतक खड़ा रखा गया। लम्बरदारके कहने-पर कुलियोंने जिन-जिन लोगोंकी तरफ इशारा किया, उनको गिरफ्तार करके थाने भेज दिया गया। उनको खाने या पोनेके लिए कुछ भी नहीं दिया गया और यदि किसीने उनको खाने-पीनेकी कोई चीज देनी चाही तो उसे पिटवाया गया और गालियाँ दी गईं। उन लोगोंको अगले दिन लाहौर ले जाया गया और जत्थोंमें पेश करके उनको सजाएँ सुना दी गईं। (बयान ४५२, पृष्ठ ५९२)

सरदार शानसिंह कहते हैं:

मुझे अन्य गिरफ्तारशुदा लोगोंके साथ पीठके पीछे हाथ करके हथकड़ियाँ लगाकर सरायमें रखा गया। मुझे वहाँ १५ या १६ दिनतक रहना पड़ा।में हथकड़ियोंकी वजहसे न तो खाना खा सकता था और न अपनी पगड़ी ही बाँध सकता था। रातको भी हथकड़ी लगी रहती थी। मेरे साथके दूसरे लोग मेरे मुँहमें खानेकी चीजें रख देते थे। कुछ लोग मेरी पगड़ी भी बाँध देते थे।मेरे बड़े भाई काहनसिंह भी मेरे साथ वहीं बन्दी थे। उनके पास एक अरबी घोड़ा था, जिसे पुलिसके सब-इन्स्पेक्टर अली मुहम्मदने उनसे माँगा और कहा कि दे देनेपर वे रिहा कर दिये जायेंगे। मेरे भाईने कहा था कि वे बिल्कुल निर्दोष हैं इसलिए बिना बात अपना घोड़ा नहीं देंगे। मेरे भाईके इनकार करने- पर पुलिस सब-इन्स्पेक्टर बहुत नाराज हो गया और उसने कहा कि वह उन पर बहुत-से अभियोग लगायेगा। सबसे पहले तो उसने यह किया कि मेरे भाईके घरमें रेलके किसी बाबूकी कुछ चीजें चोरीसे रखवा वीं और फिर जाँच-पड़तालके बाद वे चीजें उनके घरसे बरामद करवा दीं। पुलिस सब-इन्स्पेक्टरने मुझसे भी कहा था कि अगर मैं अपनी जान बचाना चाहूँ तो उसको ५०० रुपये दे दूं। मैंने रुपया अदा करनेसे इनकार कर दिया। इसपर मेरे भाईके साथ मेरा भी चालान कर दिया गया। लेकिन बादमें मेरी पत्नीने किसीसे ५००) रुपये उधार लेकर चक मनोरा, शेखूपुराके जमींदार सुन्दरसिंहकी मार्फत सब-इन्स्पेक्टरके पास पहुँचा दिये। पुलिस सब-इन्स्पेक्टरने इसपर मुझे रिहा करा देनेका वादा किया। सब इन्स्पेक्टरने, जिन लोगोंको मेरे खिलाफ बयान देनेके लिए तैयार किया था, उनको वैसा करनेसे रोक दिया। मेरे खिलाफ उसने सिर्फ एक मामूली-सा गवाह रहने दिया। इस तरह काफी सबूत न मिल पानेके कारण मुझे रिहा कर दिया गया। (बयान ४५४, पृष्ठ ४४९)