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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

भी अदा नहीं की। उनको ऐसा करने से रोका भी गया,लेकिन उन्होंने मुझे धमकाया कि अगर हम उनको घास लेनसे मना करेंगे तो वे साहबके सामने हमारी पेशी करा देंगे और हमको सजा दी जायेगी। (बयान ४५६)

गनपतमल कहते हैं:

यह हुक्म भी जारी किया गया कि गांवके सभी लोग गांवमें ही रहें,और कोई भी गेहूं की फसल काटने गाँवसे बाहर खेतोंमें न जाये। उन्होंने पट-वारीको हुक्म दिया कि वह खेतोंके चक्कर लगाये जिससे कि लोग अपनी फसलें न काटने पायें और न अपने मवेशियोंको उसमें से कुछ खिला पायें और न खेतोंकी देखभाल ही कर पायें। इस तरह मवेशी लावारिस-से घूमते रहे और फसलें बरबाद हो गईं। कुछ फसलोंको सेनाने भी नुकसान पहुँचाया। हमें फसलका सिर्फ एक-चौथाई हिस्सा ही हासिल हो पाया। (बयान ४५८, पृष्ठ ५९७)

तथाकथित मुकदमों और उनसे पहले अपनाई गई प्रक्रियाके बारेमें हमें जो बयान मिले हैं, उनमें ऐसे तथ्य भरे पड़े हैं, जिनसे बहुत अच्छी तरह सिद्ध हो जाता है कि यहाँ भी वही सब हुआ, जो हमने अन्य स्थानोंके बारेमें बताया है। श्री टोडरमल कहते हैं कि जब शिनाख्तीका नाटक किया जा रहा था,श्री बॉसबर्थ स्मिथने कहा: 'मैं सिर्फ बड़े-बड़े आदमी चाहता हूँ; वे गन्दी मक्खियाँ हैं। में मामूली आदमियोंको नहीं चाहता। सरदार करतारसिंहने इस गवाहकी एक अपराधीके रूपमें शिनाख्त की थी। वे कहते हैं:

हमने फौरन आपत्ति की और उससे पूछा कि उसने मुझे ही क्यों छाँट लिया है। उसने कहा कि खुफिया विभागने उसे रोक दिया है, इसलिए वह इसकी कोई वजह नहीं बतलायेगा। उसे तो वही करना पड़ेगा जो उससे कहा गया है।" (बयान ४५०, पृष्ठ ४८९)

उसपर मुकदमा चलाया गया, लेकिन मार्शल लॉ कमीशनने उसे दोषमुक्त कर दिया।

काशीराम कहते हैं:

हम लोग डिप्टी कमिश्नरके सामने सफाईका सबूत पेश करना चाहते थे,लेकिन उसकी इजाजत नहीं दी गई और न किसीके बयानको दर्ज ही किया गया। (बयान ४५१, पृष्ठ ५९०)

मायासिंह कहते हैं कि उनका लड़का उजागरसिंह दवा लेने बाहर गया था। उसे कुछ दूसरोंके साथ गिरफ्तार कर लिया गया। उसने विरोध किया।

इसपर लँगड़े साहब (श्री बॉसवर्य स्मिय) ने उसे पेड़से बाँधकर २५ कोड़े लगानेका हुक्म दे दिया था।..उसे दस दिनतक एक कोठरीमें रखा गया और जब कैनाल रेस्ट हाउसमें अभियुक्तोंकी शिनाख्त हुई तो किसीने भी उसकी शिनाख्त नहीं की और इसलिए उसे छोड़ दिया गया। (बयान ४४८)