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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हवेलीराम कहते हैं:

मेरी दुकान और घरपर १०-१५ दिनतक ताला डालकर रखा गया। मंडीकी कई दुकानोंकी तलाशी ली गई। ब्रिटिश सैनिक मंडीमें मँडराते रहे और जनताको आतंकित करते रहे। वे दुकानोंमें घुसकर जो मनमें आया उठा ले गये।...सैनिकोंने मुझसे जो चीजें लीं, उनकी मुझे कोई कीमत नहीं दी गई। (बयान ४५३)

गनपतमल कहते हैं:

उनको राशनके लिए जो भी मिला उसे ले लिया। लोगोंसे मुर्गियां, अण्डे,बकरियाँ और दूध जबरदस्ती ले लिया गया। पुलिसवालोंने लोगोंके पास जाकर बिछावन माँगे और लोगोंको डरके कारण देने पड़े जो अबतक उनको लौटाये नहीं गये हैं। पुलिसके सिपाहियोंने मुझसे भैंसका दूध जबरदस्ती ले लिया,और मेरे बच्चोंतक के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा। एक बिछावन मैंने भी दिया, जिसे अभीतक लौटाया नहीं गया है। मार्शल लॉके दिनोंमें मुझे मंडीकी तरफसे रुपये सेनाके राशनके खर्चके लिए देने पड़े।२५ रुपये और गाँवकी तरफसे १० (बयान ४५८)

कुछ दुकानदारोंने सेनाको जो राशन दिया उस सामानकी सूची अधिकारियोंके पास भेजी। गुजराँवालाके पुलिस सुपरिटेंडेंटने उसका जो उत्तर दिया वह यह था:

इसे सब-इन्स्पेक्टरके पास इस हिदायतके साथ भेज दिया जाये कि यह रुपया अब किसी हालतमें वसूल नहीं किया जा सकता। अर्जी भेजनेवालों को जतला दिया जाये कि उनको हमें इस तरह बार-बार परेशान नहीं करना चाहिए।

गांववालों को कुछ दिनोंतक अपनी फसल नहीं काटने दी गई। कुछ किसानोंकी फसलें बिना किसी उचित कारणके जब्त कर ली गईं। श्री बॉसवर्थ स्मिथने एक तरहसे इन कृत्योंको स्वीकार कर लिया है। इन इलाकों--सांगला हिल और शेखपुराके बीचके इलाकों में मार्शल लॉके अमलकी जिम्मेदारी मुख्यतः श्री बॉसवर्थ स्मिथकी ही थी।

शानसिंह कहते हैं:

मुझे फसलको नुकसान पहुँचनेसे कुल मिलाकर लगभग २,००० रुपयेकी हानि उठानी पड़ी। (बयान ४५४)

जिवाया कहते हैं:

शेसिंहके खेतके पास ही करीब सवा तीन किलेमें मेरी चनेकी फसल थी। फौजने अपने घोड़ोंके लिए उसका इस्तेमाल किया और उसके बदले कौड़ी

१. पंजाब में जमीनको मापका प्रतिमान।