पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३२५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९३
पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

गनपतमल कहते हैं:

मशीनगनोंसे काफी देरतक गोलियाँ चलती रहीं और लोग इधर-उधर भागते रहे।....१७ अप्रैलको फिर इसकी पुनरावृत्ति की गई। ब्रिटिश सैनिक मशीनगनें लिये हुए आये। वे गाड़ीसे उतरे और इधर-उधर भागते हुए लोगों-पर गोलियाँ चलाने लगे। (बयान ४५८)

हम यह तो नहीं कहेंगे कि मार्शल लॉ जारी करने से पहले गोलियाँ चलानेका कोई औचित्य नहीं था, पर हमारा विश्वास है कि सब-डिवीजनल अफसरने जिस गोली- बारीको उल्लेख किया है, उसमें बहुत जल्दबाजी की गई; अभी ऐसा समय नहीं आया था कि गोलीबारी की जाती, गोलीबारी अन्धाधुन्ध तरीके से की गई और उसके पीछे या तो अधिकारियोंकी घबराहट काम कर रही थी या फिर अत्युत्साह। जनतामें आतंक जमाना उन अफसरोंका काम नहीं था। गोली चलाना उनके सामर्थ्यका नहीं, कमजोरीका लक्षण है; न्यायकी रक्षा करनेकी भावनाका परिचायक नहीं बल्कि अन्याय करनेकी उद्धतताका द्योतक है। अपराधी मन ही आतंकवादका सहारा लेता है। हम स्वीकार करते हैं कि आग लगाने, लूटमार करने और तार काटने की घटनाएँ बुरी, अकारण और अशोभनीय थीं और उनमें भाग लेनेवाले कड़ेसे-कड़े दण्डके भागी थे। लेकिन जनताने ऐसा कुछ भी नहीं किया था जिससे इस प्रकारकी अन्धाधुन्ध गोली- बारीका औचित्य सिद्ध हो सके जिसमें निर्दोष व्यक्तियोंकी जानें गईं और अनेक हमेशाके लिए अपंग-से हो गये। समूची जनताको “आतंकित" करनेके लिए जो अन्य बर्बर कदम उठाये गये थे, उनका भी कोई औचित्य नहीं था।

दूसरे जो कदम उठाये गये, वे लगभग सभी जगह एक-से थे। सैनिकों द्वारा की गई लूट-पाटके जितने सबूत चूहड़खाना में मिलते हैं उतने अन्य स्थानोंपर नहीं मिलते। मवेशियोंको जबरन पकड़कर सैनिकोंके लिए उनका दूध निकाल लिया जाता था । वे मालिकोंकी गैरहाजिरीमें बकरियाँ, बर्तन और खाने-पीनेकी चीजें जबरन उठा ले जाते थे। मार्शल लॉके काल में जनताको धन-सम्पत्तिके रूप में कितनी हानि उठानी पड़ी होगी, इसका अनुमान लगाना कठिन है।

सुच्चासिंह कहते हैं:

पुलिसने मुझे डराकर मुझसे एक बिछावन ले लिया, जो मुझे अभीतक वापस नहीं किया गया है। (बयान ४४९)

शामनके बयानके अनुसार: "सिपाही अपने घोड़ोंके लिए जबरदस्ती उनकी फसल काटकर ले गये। "(बयान ४६४)

मोहनलाल कहते हैं:

श्री बॉसवर्थ स्मिय जब यहाँ आये थे तो हमारी दुकानसे ४५ रुपयेका सामान लिया गया था। लेकिन आजतक उसकी कीमत नहीं चुकाई गई है।

(बयान ४७४)