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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्र०--हरकतों से आपका क्या मतलब है? वे कोई शरारत तो कर नहीं रहे थे।

उ०--जी नहीं, उस समय नहीं। लोग गाँवसे आ-जा रहे थे।

प्र०--आपको यह मालूम नहीं कि इस तरह गाँव आने और उधर जानेमें उनका उद्देश्य क्या था?

उ०--जी हाँ, मालूम है।उनका उद्देश्य बख्तरबन्द गाड़ीपर हमला करना था।

प्र०--आपने दूरसे देखकर यह कैसे पता लगा लिया कि वे बख्तरबन्द गाड़ीपर हमला करने के लिए ही इकट्ठे हो रहे हैं?

उ०--मुश्किल यह है कि मेरे दिमागमें जो बातें हैं,उनको में बखूबी बयान नहीं कर सकता।

प्र०--क्षमा कीजिए लालाजी,यहाँ हम उन।चीजों की चर्चा कर रहे हैं जो वहाँ मौजूद थीं और जिनको आपने देखा था। मैं यह जानना चाहता हूँ कि आप जब उनकी हरकतों की बात कहते हैं तो क्या, क्या आप यह बताने की कृपा करेंगे?

उ०--मैंने कहा कि वे आ-जा रहे थे और मेरा खयाल है,वे एक जगहपर जमा हो रहे थे।

प्र०--शायद आप नहीं बता सकते कि किस उद्देश्यसे?

उ०--वे किसी बुरी नीयतसे ही जमा हो रहे थे।में यह जानना चाहता हूँ

प्र०--आपने कुछ लोगोंको गाँव जाते हुए और कुछको गाँवसे आते हुए देखकर यह निष्कर्ष निकाल लिया कि वे किसी बुरे उद्देश्यसे जमा हो रहे हैं।

उ०--उन्होंने'हमारी बख्तरबन्द गाड़ी देखी,फिर भी वे छिप नहीं गये,इससे और क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

राय साहबने यह साक्ष्य १७ दिसम्बरको दिया और हमने अपनी कोशिशसे जो साक्ष्य इकट्ठा किया वह इससे काफी पहलेका है और हममें से एक सदस्यने ६ दिस- म्बरको उसकी जाँच भी कर ली थी। उस साक्ष्यसे पता चलता है कि वहाँ कोई भीड़ जमा नहीं हुई थी और राय साहबने लोगोंको जो आते-जाते देखा था उसका वह मतलब बिल्कुल नहीं था जो राय साहबने लगाया। लोग डरके मारे भागकर जा रहे थे और अपने-आपको छिपा रहे थे।

जाट दुलासिंह, जिन्हें वहाँके चप्पे-चप्पेकी और घटनाओंकी भी पूरी जानकारी हैं कहते हैं:

उन्होंने डरके मारे गाँवसे भागते हुए लोगोंपर मशीनगनोंसे गोलियां चलाई।उन गोलियोंसे तीन व्यक्तियोंको जख्मी होकर गिरते हुए मैंने देखा। कमेटी के सदस्य मौलाबख्श और करतारसिंह भी गाड़ी में थे। (बयान ४६८)