पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३२३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९१
पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

इस गाँवपर १०,००० रुपये जुर्माना किया गया। उसका एक तिहाई रबीकी पिछली फसलके मौकेपर वसूल किया गया। (बयान ६२२)

चुहड़खाना-

यह भी एक बड़ी मण्डी है जहाँ आसपासके गाँवसे सैकड़ों लोग अपना माल लेकर बेचने आते हैं। चूहडखाना गाँव मण्डीसे करीब डेढ़ मीलकी दूरीपर है। चूहड़खानाका स्टेशन मण्डीके पास ही है।

यहाँ १२ अप्रैलको हड़ताल हुई थी। एक दिन पहले एक सार्वजनिक सभा भी हुई थी, जिसमें हड़ताल करनेकी घोषणा की गई। सभामें नगरपालिकाके सदस्यों-सहित तमाम लोगोंने हिस्सा लिया था। १४ तारीखतक कोई घटना नहीं घटी। लेकिन १५ तक अमृतसर और लाहौरसे आनेवाले समाचार सभी लोगोंको मालूम हो गये थे और वे काफी उत्तेजित हो उठ थे। मण्डी में रहनेवाले कुछ लोग और आसपासके गांवोंके कुछ ऐसे लोग, जो उस समय मण्डी में मौजूद थे, सभी मिलकर रेलवे स्टेशनकी तरफ चल पड़े। उन्होंने दिन-दहाड़े रेलवे-खलासियोंसे औजार ले लिये और लाइनको नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ स्टेशन में आग भी लगा दी।

इसके बाद ही सेना, मशीनगनें और बख्तरबन्द गाड़ियाँ वहाँ पहुँच गईं। काफी अन्धाधुन्ध गोलीबारी की गई । राय साहब श्रीराम सूदने हंटर कमेटी के सामने दिये गये अपने साक्ष्य में गोलीबारीको उचित ठहरानेकी कोशिश की है। लेकिन हमारे पास जितने भी साक्ष्य मौजूद है, वे सब उनके बयानके खिलाफ जाते हैं। सच तो यह है कि उनके अपने बयानसे ही उनकी बातका खण्डन होता है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह गोलीबारी मार्शल लॉकी घोषणा होने से पहले की गई। राय साहब श्रीराम सूद एक पुराने सब-डिवीजनल अफसर हैं। वे इस जिलेमें अगस्त १९१८ से सरकारी सेवामें हैं। इसलिए वे गाँवके लोगोंको अच्छी तरह जानते थे । गोलीबारीकी सारी जिम्मेदारी उन्होंने अपने ऊपर ली और जब पंडित जगतनारायणने जिरहके दौरान उनसे सीधे-सीधे सवाल पूछने शुरू किये तो उन्होंने कहा कि उन्होंने जो गोली चल- वाई वह दण्ड प्रक्रिया संहिताकी रूसे प्राप्त अधिकारोंके अन्तर्गत थी। सर चिमनलालने उनसे पूछा कि वे इस निष्कर्षपर कैसे पहुँचे कि गोली चलवाना जरूरी हो गया। उत्तरमें उन्होंने कहा,"क्योंकि हमें पहलेसे मालूम हो गया था कि वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई है और इसकी सूचना विश्वसनीय थी।" उन्होंने आगे कहा: "मैंने पहले ही सुन रखा था कि चूहड़खानाके लोग लूटपाटके लिए बाजारकी तरफ झपटे जा रहे हैं।" इसपर सर चिमनलालने पूछा:"तो इसपर आपने कोई और जाँच-पड़ताल किये बिना गोली चलाना शुरू कर दिया?" उत्तर था:“जी हाँ, हमने गोली चलानेका निश्चय कर लिया था।" फिर उनसे पूछा गया:आपका खयाल आतंक पैदा करनेका उन्होंने उत्तर दिया:"हाँ, यदि ऐसा करना जरूरी लगता और सचमुच मुझे ऐसा करना जरूरी लगा।" सर चिमनलालने पूछा:“और गोली चलाने के बाद आप स्टेशनकी ओर ही बढ़े?" उत्तर था: "जी हाँ।" इसके बाद राय साहबने लोगोंकी हरकतोंका वर्णन किया।