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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खुशालकी पत्नी नन्दीने अपने लड़केके बारेमें बयान देते हुए कहा है:

कोई सफाईतक नहीं माँगी गई। सच यह है कि रेलवे कुलियोंने जिसके खिलाफ भी गवाही दी, उसे दण्ड दे दिया गया। किसीसे अपना बयानतक देने के लिए नहीं कहा गया। गाँवके उनके एक आदमीने इस तरीकेपर आपत्ति की। इसपर उसे शीशमके पेड़से बँधवाकर बुरी तरह कोड़े लगाये गये। (बयान ६१६)

दूसरे गाँवकी तरह नवाँ पिण्डमें भी अफसरोंने जिसका जो माल मनमें आया, उठा लिया। इस तरह हीरासिंहसे १०८ रुपयेसे कुछ अधिक कीमतका आटा, दाल, घी, चीनी और दूध ले लिया गया। गाँववालोंने चन्दा करके इस गरीबका घाटा पूरा किया। (बयान ६१८)

किशनचन्द कहते हैं कि उन्होंने श्री पंनी और श्री बॉसवर्थं स्मिथके कैम्पको तथा अन्य अधिकारियोंको भी ४०० रुपयेकी कीमतका राशन दिया। इसकी पूर्ति भी गांववालोंने चन्देसे की। (बयान ६१९)

काहनसिंहकी पत्नी ज्वाली कहती है कि उसके ७० वर्षीय कमजोर पतिको भी गिरफ्तार कर लिया गया। वे कहती हैं:---

वहाँ तैनात पुलिसने बिना उनकी मुट्ठी गरम किये हमें अपने रिश्तेदारों को खानातक नहीं पहुँचाने दिया। दूसरोंकी तरह मुझे भी हर रोज हर आदमी पीछे एक रुपया देना पड़ा था। (बयान ६२०)

नन्दसिंह कहते हैं:

दस वर्षसे ऊपरकी उम्रके सभी आदमियोंको बुला भेजा गया। उनको सुबहसे लेकर शामतक धूपमें कतारें बनाकर बैठाये रखा गया। श्री बॉसवर्थ स्मिथ वहाँ मौजूद थे। मेरे भाई भगवानसिंहने उठकर हाथ जोड़कर उनसे कहा कि वह निर्दोष है और उसने कोई अपराध नहीं किया है। इसपर श्री बॉस-वर्थ स्मियको गुस्सा आ गया और उन्होंने उसकी पिटाईका हुक्म दे दिया। एक रस्सी मँगाई गई। सत्रु चौकीदार रस्सी लेकर आया और भगवानसिंहको उसी समय बाँध दिया गया। सत्रुको बैत लगाने का आदेश दिया गया और उसने १२ बॅत लगाये। श्री बॉसवर्थ स्मिथ वहीं पासमें खड़े थे और उन्होंने कहा कि अगर वह मर भी जाये तो कोई परवाह नहीं। भगवानसिंह बेहोश हो गया।उसके मुंहमें पानी डाला गया तब कहीं थोड़ी देर बाद उसको होश आया। फिर सब-इन्स्पेक्टर उसको अलग ले गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।इसे देखकर सारे गाँववाले भयभीत हो गये और किसीने भी कुछ कहनेकी हिम्मत नहीं की। चारों तरफ राइफलधारी सैनिक खड़े थे और श्री बॉसवर्थ स्मिय कहते जाते थे कि अगर किसीने जबान हिलाई तो उसके साथ भी ऐसा ही सलूक किया जायेगा। (बयान ६२१)