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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सख्त कैद और दो सौ रुपये जुर्मानेकी सजा दी गई।

यह पक्ष अब अपनी सजाके फैसलेके खिलाफ अपील कर रहा है अपीलके मुख्य आधार ये हैं:

(क) वे उस दिन रेलवे स्टेशनपर मौजूद नहीं थे,और अपनी गैर-मौजूदगी साबित करनेके लिए वे कई गवाह पेश करने को तैयार थे।

लेकिन अदालतने उनके गवाहोंको नहीं बुलाया।

(ख)उनकी शिनाख्त रेलवेके कुलियोंने की थी,जो उनके लिए बिल्कुल अजनबी थे। कहा गया है कि उनके कुछ दुश्मनोंने इन कुलियोंको उकसाया था और शायद रिश्वत भी दी थी ताकि वे इन दोनों भाइयोंकी शिनाख्त कर दें।

(ग)अपीलमें कहा गया है कि उनके दुश्मन ज्वालासिंह जैलदार और जीवनसिंह लम्बरदार हैं,जिनके साथ जीवनसिंहके परिवारका काफी पुराना झगड़ा चला आता है।यह झगड़ा लम्बरदारीको लेकर लगभग ५ वर्ष पहले खड़ा हुआ था और तभीसे चलता आ रहा है झगड़के बारेमें बड़ी आसानीसे सबूत जुटाये जा सकते हैं और उन्हें पेश करनेकी अनुमति भी माँगी गई थी,लेकिन उसका मौका नहीं दिया गया।

(घ)मेरे सामने यह बयान अभियुक्तके सबसे छोटे भाई जगत-सिंहने दिया है।जगतसिंहकी उम्र १८ वर्ष है और मैं उसे अच्छी तरह जानता हूँ,क्योंकि वह इस कालेज और स्कूलमें ४ वर्षतक मेरा विद्यार्थी रह चुका है।मुझे जगर्तासंहकी व्यक्तिगत वफादारीपर जरा भी सन्देह नहीं है।मैं जगतसिंहको भावनाओंको समझ सकता हूँ,और फिर जगतसिंहको ब्रिटिश-विरोधी प्रवृत्तियोंवाला राजनीतिज्ञ बतलाना हास्यास्पद ही माना जायेगा।इस लड़के खर्च चलानेवाले उन दोनों भाइयोंने इस लड़केको पढ़नेके लिए यहाँ भेजा.यह तथ्य भी बतलाता है कि वे वफादार हैं,क्योंकि आमतौरपर सरकारके प्रति वफादार सिख लोग ही दूर-दूरसे अपने बच्चोंको इस संस्थामें भेजते हैं,जिसे सरकारका विशेष कृपापात्र समझा जाता है।मैंने रेलवे कुलियोंसे इसके बारेमें पूछताछ कर ली है।उनमें से कई इन दोनों सजायाफ्ता भाइयोंको जानते हैं।उन सबकी यही राय है कि दोनों भाई बिल्कुल ही निर्दोष हैं और उनके दुश्मनोंने ही उनको इस मामलेमें फंसा दिया है।

(ङ)एक मुद्दा,जो इस व्यक्तिके खिलाफ सारे सबूतको गलत सिद्ध करता है,यह है कि तीसरे भाई मंगलसिंहकी भी शिनाख्त करके इन्हीं कुलियोंने कहा कि वे रेलवे स्टेशनपर मौजूद थे। हुआ यह कि जिस दिन धबनमें उसकी मौजूदगी बतलाई जाती है,उस दिन वे खालसा कालेजमें जगतसिंहके साथ ठहरे हुए थे और कई भरोसेके लायक