पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३१८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८७
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
नवाँ पिण्ड (चक संख्या ७८)

यह भी एक बहुत छोटा गाँव है--मनियाँवालासे भी छोटा। यह गाँव तह- सील खानगाह डोगराँमें है। यह भी धबनसिंह रेलवे स्टेशनके निकट है। और इसी- लिए इसके साथ भी लगभग वही सलूक किया गया जो मनियाँवालाके साथ हुआ था; अन्तर केवल इतना रहा कि यहाँकी स्त्रियोंको मनियाँवालाकी अपनी अभागी बहनोंकी तरह अशोभनीय बरताव सहन नहीं करना पड़ा। बहुत सम्भव है कि यहाँके कुछ लोगोंने भी धबनसिंह स्टेशन में आग लगाने में हाथ बँटाया हो, लेकिन इसके लिए एक पूरे गाँवको क्रूर और प्रतिहिंसापूर्ण ढंगसे दण्डित किया जाय, इस बातको किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हमने लगभग ४० गवाहों के बयानोंमें से जो बयान चुने हैं, और जिनमें से सभीमें लगभग एक-सी घटनाओंका उल्लेख है, उनसे पता तो यही चलता है कि नवाँ पिण्डवालोंके साथ भी वैसा ही बरताव किया गया जैसा मनियाँवालाके लोगोंके साथ किया गया था।

खुशालसिंह कहते हैं कि रेलवे स्टेशनमें आग लगाये जानेके अगले दिन नवाँ पिण्ड-सहित आसपासके कई गाँवोंके लोग रेलवे स्टेशनपर इकट्ठे हुए थे । डिस्ट्रिक्ट बोर्डकी सदस्यताके लिए एक व्यक्तिका चुनाव करनेके लिए तहसीलदार भी वहाँ आया था। जब लोग वहाँ पहुँचे तो रेलवेके बुकिंग ऑफिसमें आग लगी हुई थी। लोग अपने- अपने वोट देकर चले गये। तहसीलदार अधिकांश मतदाताओंको जानता ही होगा, फिर भी उनमें से कईको स्टेशन में आग लगानेके सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया। खुशालसिंह बताते हैं कि रेलवे स्टेशनमें आग लगनेके तीसरे दिन उन्हें स्टेशन जाना पड़ा। वहाँ उन्हें पता चला कि सब-इन्स्पेक्टर कुलियोंसे आग लगानेवालोंकी शिनाख्त करनेके लिए कहता रहा है। कुलियोंने आपत्ति की और कहा कि उस भीड़में बहुत सारे लोग थे और समय रातका था इसलिए वे आग लगानेवालोंको पहचान नहीं सकते । लगता है कि सब-इन्स्पेक्टरने उनको किसी तरह राजी कर लिया। उसने कहा कि वह उन गाँवोंके लोगोंको बुलाकर खड़ा कर देगा । कुलियोंको उनमें से कुछकी तरफ इशारा-भर कर देना चाहिए और वह उनकी गिरफ्तारीका इन्तजाम कर लेगा। दूसरा कदम यह उठाया गया कि स्त्रियों और बच्चोंको छोड़कर बाकी सभी लोगोंको श्री बॉसवर्थ स्मिथके सामने हाजिर होनेका हुक्म दिया गया।

साहबके वहाँ पहुँचते ही हम सबको कतारोंमें खड़ा कर दिया गया। कुली और रेलवे कर्मचारी लोग भी साहबके साथ-साथ आये थे। साहबने कुलियोंको हुक्म दिया कि वे कतारोंमें खड़े हुए लोगोंमें उन लोगोंकी शिनाख्त करें जिन्होंने रेलवे स्टेशनमें आग लगानेमें भाग लिया था। कुलियोंने जिन लोगोंपर अँगुलियाँ रखीं, उनको दूसरोंसे अलग करके उनके हाथ-पैर बाँध दिये गये।

शिनाख्तका ढंग यह था:

एक कुली एक आदमीकी शिनाख्त करता था । लम्बरदार, जैलदार और पुलिस सब-इन्स्पेक्टर उसके बिलकुल पास खड़े रहते थे। इसके बाद फिर दूसरे