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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिया। गिरफ्तारियाँ आखिर २२ अप्रैलको शुरू हुई। (बयान ३६७, पृष्ठ ५०३)। यदि साँगला हिलके उपद्रवोंके बारेमें श्री बॉसवर्थ स्मिथका कथन सही होता तो ये दो जिम्मेदार अधिकारी कोई गिरफ्तारी किये बिना वहाँसे चले न जाते। इससे तो यही लगता है कि जहाँतक साँगला हिलका सम्बन्ध है, वहाँ परिस्थितिको बदलनेवाले श्री बॉसवर्थ स्मिथ ही थे, गिरफ्तारियाँ भी उन्हींके कहनेपर हुई और फिर उन्होंने इने-गिने व्यक्तियोंके व्यक्तिगत अपराधोंको बढ़ा-चढ़ाकर सामूहिक उपद्रवोंका रूप दे दिया। इतना सही है कि सांगलाके निकट तार काटे गये थे। साँगलासे थोड़ी ही दूरीपर स्थित मोमन स्टेशन में आग लगाई गई और उसे लूटा गया, लेकिन जबतक यह निश्चित न हो जाये कि तार काटने और आग लगाने में साँगलाके लोगोंका भी हाथ था तबतक उनको जिम्मेदार तो नहीं ठहराया जा सकता।

उपर्युक्त तीन गवाहोंने गिरफ्तार किये गये लोगोंके नाम और उनके बारेमें अन्य विवरण भी दिये हैं। हम साँगलामें मार्शल लॉ प्रशासनका वर्णन करते हुए इन गिरफ्तारियोंका जिक्र पहले ही कर चुके हैं। लेकिन बयानका वह अंश यहाँ फिरसे दे दिये जाने लायक है जिसमें उन्होंने बतलाया है कि झूठा सबूत कैसे गढ़ा जाता था। गवाहोंका कहना है:

पुलिस हिंसापूर्ण धमकियों द्वारा, मार-पीटके बलपर और लोगोंको धूपमें खड़ा करके ११ मईको २९ व्यक्तियोंको सरकारी गवाह बननेपर मजबूर करनेमें कामयाब हो गई । इन गवाहोंमें दस वर्षकी उम्रके लड़के और १४ रेलवे कर्मचारी भी शामिल थे। इनमें एक प्रेमसिंह बजाज भी था, जो अपहरणके मामले में पहले साढ़े तीन वर्षकी सजा काट चुका था। (बयान ३७६,पृष्ठ ५०४)

डा० करमसिंह नन्दा बतलाते हैं कि कैसे उनको अन्य कुछ लोगोंके साथ रोज ही शिनाख्तके सिलसिले में हाजिर होना पड़ता था और वहाँ भोजन-पानीके बिना कड़ी धूपमें खड़ा रखा जाता था। वे कहते हैं कि कई लोगोंको चक्कर आ जाता था, और रोज-रोज तपती धूप में खड़े रहनेसे वे खुद इतने बीमार पड़ गये कि दो महीने- तक खाट पकड़े रहे। वे कहते हैं कि उनकी शिनाख्त की गई । वे १२ तारीखको सांगलामें मौजूद थे, जबकि वास्तवमें वे उस दिन एक मुकदमे में गवाही देने गुजराँ- वाला गये हुए थे । वे अपने बयान में यह भी बताते हैं कि १८० गिरफ्तारशुदा लोगोंको ९ दिनतक नजरबन्द रखा गया और उनसे कहा गया कि अगर वे रिहा होना चाहते हैं तो ५०,००० रुपये दें। (बयान ३८०)

दलाल कुन्दनलाल बतलाते हैं कि ब्रिटिश सैनिक कैसे एक कौड़ी भी अदा किये बिना दुकानोंसे माल उठा लिया करते थे। ( बयान ३८१)

मोमन

मोमन एक रेलवे स्टेशन है, जो साँगलासे लाहौरकी तरफको छः मीलकी दूरी- पर स्थित है। निस्सन्देह आसपासके गाँवोंके लोगोंकी एक टोली इस स्टेशनकी तरफ