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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

नौकरोंको ३० रुपये दिये। उन्हें हर महीने डेढ़ सौ रुपयेका नुकसान हुआ। अफसर लोग वहाँ दो महीनेतक रहे। उन्हें दिन-रात अपनी दुकानपर मौजूद रहना पड़ता था, क्योंकि राशनका सामान उन्हींसे लिया जाता था। एक रात अफसरोंका एक नौकर एक्स्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर और पुलिस इन्स्पेक्टरके लिए दूध लेने आया। इसलिए उन्हें बत्ती जलानी पड़ी। कमांडिंग अफसरने इसे कर्फ्यूके आदेशको भंग करना माना और फलतः उन्हें और उनके साथियोंको गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अपनी बात समझाने की कोशिश की कि अफसरोंको दूध तो उन्हें देना ही था, अगर मना कर देते तो अपराधी माने जाते और बत्ती जलाये बिना शायद दूध दिया नहीं जा सकता था। अफसरोंने उनकी बातपर कान नहीं दिया। इस बीच उनके सबसे बड़े भाई पासके मकानसे आ गये थे और उन्होंने पूछना शुरू किया कि मामला क्या है ? उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। दोनोंको दो दिनतक हिरासतमें रखा गया और उसके बाद मुचलकोंपर छोड़ दिया गया। पाँच दिन बाद उनको चौकीपर बुलाया गया और हरएकको ५० रुपये जुर्माना तथा ५ कोड़ोंकी सजा सुना दी गई।

लछमनदासको डाक्टरने कोड़े खाने के लिए शारीरिक रूपसे अयोग्य घोषित कर दिया, इसलिए उनका जुर्माना दुगना कर दिया गया। (बयान ३७२)

शामदासको हिरासतके दौरान धूपमें खड़े रहना पड़ा, लेकिन उनको पानी पीने तक की इजाजत नहीं दी गई। इसलिए वे बीमार पड़ गये पर उनकी चिकित्सा नहीं कराई गई। उन्हें ९ दिन बाद छोड़ दिया गया। वे कहते हैं:'आजतक पता नहीं चल सका है कि आखिर मुझे गिरफ्तार क्यों किया गया था। (बयान ३७३)

अधिकारी लोग निहालचन्दके भतीजेकी तलाशमें थे। वह उन दिनों साँगलामें नहीं था। इसपर उसके चाचाको गिरफ्तार कर लिया गया। उनको भी अन्य कई लोगोंकी तरह धूपमें खड़ा रखा गया। वे कहते हैं:

वृद्धावस्था और कड़ी धूपके कारण में तीन बार बेहोश होकर गिर पड़ा।मुझे ४ दिन या ५ दिन बाद बिना कोई कारण बताये छोड़ दिया गया।(बयान ३७४)

जान मुहम्मद पतोली कहते हैं कि उनको रोज-रोज बुलाकर बाहर बैठा दिया जाता था जहाँ न वे खाना खा सकते थे और न पानी पी सकते थे। गवाह नं० ३७४ की तरह वे भी धूपके कारण बीमार पड़ गये। उन्हें १० दिन बाद रिहा कर दिया गया। उनका यह भी कहना है कि जब उन्होंने अपनी दुकान खोली तो पुलिसवालोंने बहुत-सी चीजें ले लीं। उनका बिल भी उन्होंने भेजा, पर उसकी अदायगी कभी नहीं की गई। (बयान ३७५)

सांगला हिलके दो अत्यन्त सम्माननीय और जाने-माने व्यक्तियोंके साथ सोहन- लालने एक संयुक्त बयान दिया है। उनका कहना है कि सब-डिवीजनल अफसर राय श्रीराम १८ तारीखको साँगला हिल गये। वे लोगोंसे मिले और कोई भी गिर- फ्तारी किये बिना लौट गये। १९ तारीखको कर्नल ओ ब्रायन साँगला हिल गये। उन्होंने भी लोगोंसे मुलाकात की और कहा कि उन्होंने हड़तालके लिए लोगोंको माफ कर