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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वह गिर "लड़के को हाजिरी देनेसे छुटकारा दिलवानेका अपनी शक्ति-भर प्रयत्न किया, पर कोई नतीजा नहीं निकला।" इसलिए लड़केको तीन दिनतक लगातार हाजिरी देने जाना पड़ा। पाँचवे दिन हाजिरीसे लौटनेपर वह पसीने से तरबतर हो रहा था । पड़ा और उलिटयाँ करने लगा। साँगलाके डाक्टर ज्ञानचन्दको बुलाया गया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। तब वहाँ मौजूद सेनाके एक आई० एम० एस० डाक्टरको बुलाया गया, लेकिन वह भी कुछ कर नहीं पाया। ७ मईको लड़केकी मृत्यु हो गई। " रोज दिनमें चार बार हाजिरी देने जाना अनिवार्य था। (बयान ३५८)

बसंतराम अन्य २५ व्यक्तियोंके साथ १९ मईको गिरफ्तार किये गये। उन्हें और अन्य व्यक्तियोंको उनके कोई बयान लिये बिना ही २२ मईको छोड़ दिया गया। वे कहते हैं:

पुलिस गिरफ्तारी के दौरान हमें बिना कुछ पैसा दिये टट्टी-पेशाबतक की इजाजत नहीं देती थी। इसके लिए हम उनको रोज दो रुपये देते थे।

उनको २३ मईको फिर बुलाया गया और थानेदारने उनसे कहा कि अगर वे अब भी गवाही देने से इनकार करेंगे तो उनको तत्काल वहीं सबक सिखा दिया जायेगा। वे आगे कहते हैं:

उसने मुझे सरे-बाजार बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया, और बाजारसे पुलिस चौकीतक घसीटता हुआ ले गया। (बयान ३६६ और ३६८)

सैनिकोंने सोहनमलकी दुकानसे बिना कोई दाम चुकाये कई मन बर्फ उठा ली। (बयान ३६९)

एक विद्यार्थी हरिश्चन्द्रको, उसके सलाम करनेके बावजूद, सैनिकोंने रोक लिया। उसकी कुछ सुने बिना वहीं उसके पैरों, हाथों और पीठपर ५-६ बेंत जड़ दिये गये। गवाह कहता है:

कमांडिंग ऑफिसरने गुस्से में आकर चमड़ेका हंटर मेरे ऊपर फेंका, जो मेरे पैरोंमें लिपट गया और उसे वापस खींचनेके बाद वह अफसर और सैनिक लोग अपने रास्ते चले गये। (बयान ५७०)

सरदारसिंहपर झूठी गवाही देनेके लिए जोर डाला गया। उन्होंने इनकार कर दिया। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करके ४ दिनतक हवालात में रखा गया। वे कहते हैं:

नगरपालिकाके सदस्योंने भी हवालातमें आकर हमसे कहा कि अगर हम छूटना चाहें तो हमें गवाही दे देनी चाहिए।

गवाह अन्य ९७ व्यक्तियोंके साथ हवालातमें था। (बयान ३७१)

लछमनदासके पास एक सरायका ठेका था। मार्शल लॉके दिनों में सेनाने अपना प्रधान कार्यालय उसीमें बना लिया था और उन लोगोंने किसी भी मुसाफिरको उसमें ठहरने नहीं दिया। लछमनदासने खुद उसका ७५ रुपये प्रतिमास किराया चुकाया और