पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३०६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

था। लेकिन उनको एक महीने नौ दिनतक हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। (बयान ३९६)

हरनामसिंहको अपने लड़केको बचाने के लिए तंग आकर लगभग दो सौ रुपये देने पड़े। लेकिन उससे भी काम बना नहीं। लड़केको गिरफ्तार करके उसपर मुकदमा चलाया गया और जेल भेज दिया गया। (बयान ३९७)

हुकमदेवी कहती हैं कि वे पुलिसको रिश्वत देने के लिए रुपये नहीं जुटा पाईं, इसीलिए उनके लड़केको जेल जाना पड़ा। (बयान ३९८)।

एक वकीलके मुंशी रुल्दूरामने बयान किया है कि कैसे आपसी झगड़ोंका लाभ उठाकर उन वकीलोंको भी नुकसान पहुँचाया गया जिन्होंने लड़ाईके दौरान काफी अच्छा काम किया था। वे यह भी बतलाते हैं कि पुलिसने सबूत कैसे गढ़े। (बयान ४०१)

एक उप-सम्पादक, सरदार दीवानसिंह कहते हैं:

सबसे पहले तो ६ आदमियोंको गिरफ्तार करके हथकड़ियाँ पहना दी गईं। ये सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनके खिलाफ लगाये गये आरोप उनको नहीं बतलाये गये और न कोई दूसरी सूचना ही उनको दी गई। डेढ़ महीना बीत जानेपर, उनके खिलाफ अभियोग-पत्र तैयार किया गया। झूठे गवाह बनानेके लिए लोगोंको यन्त्रणाएँ दी गईं और भरे बाजारमें उनको भद्दी-भद्दी गालियाँ वी गईं। उनके साथ बड़ी सख्तीका सलूक किया गया और पुलिसने इन सम्माननीय व्यक्तिओंके साथ हर तरहकी सख्ती और बेइज्जतीका सलूक किया। झूठी गवाहियोंके बारेमें वाइसराय महोदय और पंजाबके लेफ्टिनेंट-गवर्नरको तार भी भेजे गये। लेकिन उनपर न तो कोई ध्यान दिया गया और न उनकी कोई जाँच ही कराई गई कर्नलको जब मालूम हुआ कि ऐसे तार भेजे जा रहे हैं तो तारोंको सेंसर किया गया और डाकखाने में तार लेने से इनकार कर दिया गया।सैनिक कानूनके अधीन स्थापित समरी अदालतोंने हाफिजाबादके सभी मुकदमोंकोक्ष एक ही दिनमें निबटा दिया।... हाफिजाबाद के मुकदमोंके अभियुक्तोंमें बड़े-बड़े जमींदार, रईस, महाजन, वकील और अन्य सम्माननीय व्यक्ति शामिल थे। उन सबको सड़कोंपर घुमाया गया और जान-बूझकर अपमानित किया गया। (बयान ३८८, पृष्ठ ५१७)

लाला रूपचन्द चोपड़ाने कर्नल ओ'ब्रायन द्वारा [ झूठे गवाहोंकी] भरती और मार्शल लॉके तहत चलनेवाले मुकदमोंके सिलसिलेमें अपनाये गये सख्त तरीकोंका एक बड़ा ब्योरेवार विवरण अपने बयान में दिया है। ३० अप्रैलतक ज्यादा लोग गिरफ्तार नहीं किये गये थे। कहा जाता है कि इससे कर्नलको सन्तोष नहीं था, और इसलिए उन्होंने कई पुराने अफसरोंको निकालकर उनकी जगह अपनी पसन्दके अफसर बैठा दिये। ३० अप्रैलकी शामको डुग्गी पिटवा दी गई कि पगड़ी बाँधनेवाले हर आदमीको दूसरे दिन सुबह तहसीलके सामने हाजिरी देनी होगी और इस हुक्मकी उर्दूली करनेवाले को गोलीसे उड़ा दिया जायेगा। वे कहते हैं कि इन नये अफसरोंने लोगोंको अनेक बार दिन-दिनभर खुलेमें बैठाये रखा। (बयान ३९०)