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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लाला गणेशदास पासी और उनके दो भाइयोंको गिरफ्तार किया गया। वे बत- लाते हैं कि किस प्रकार उन्होंने २,००० रुपये रिश्वत में दिये, फिर भी उनको किस तरह जेल में ही रखा गया, कैसे आखिरमें उन्हें छोड़ दिया गया और फिर किस प्रकार २३ मईको उनकी जायदाद इस बहाने जब्त कर ली गई कि वे फरार हैं। वे यह भी बताते हैं कि बरी हो जानेपर भी कैसे १९ जुलाई, १९१९ तक उनकी जायदाद वापस नहीं की गई थी। (बयान ३४६)

चौधरी फज़लदाद एक लम्बरदार और अकालगढ़ नगरपालिकाके उपाध्यक्ष भी थे । उनका अपराध यह था कि वे सफाईके एक गवाहके रूपमें खड़े हुए थे। इसीलिए उनके कथनानुसार उन्हें गिरफ्तार किया गया और मुकदमा चलाकर उनपर ५०० रुपये जुर्माना किया गया । वे कहते हैं कि २६ मईको कर्नल ओ'ब्रायनने उन्हें बिना कोई कारण बतलाये लम्बरदारीसे बर्खास्त कर दिया। उनका कहना है कि ऊपर जिस सड़क की मरम्मतका हवाला दिया गया है, उसकी मरम्मत उन्हींकी लम्बरदारीके दिनों में हुई थी। वे कहते हैं: “जो लोग श्रमिक वर्गके नहीं थे उन्हें भी माल-अफसर और जैलदारने बिना किसी मजदूरीके काम करनेपर मजबूर किया। जबरिया वसुलीके तौरपर जमा किये गये १,८०० रुपये में से सिर्फ ७०० या ८०० रुपये ही ठेकेदारको दिये गये। साथ ही वे कहते हैं कि

कस्बेके सभी लोगोंको डाक बेंगलेमें इकट्ठा किया गया और रेलवे लाइनकी तरफसे कुछ मशीनगनें और कुछ बड़ी-बड़ी बन्दूकें दागी गईं। लोगोंसे साफ-साफ कहा गया कि उनको सफाईके गवाह नहीं बनना चाहिए बल्कि पुलिस सब-इन्स्पेक्टरकी मर्जीके मुताबिक सरकारकी ओरसे गवाही देनी चाहिए।

(बयान ३३६)

ऊपर जो मशीनगनें चलानेकी चर्चा की गई है, उसके खर्चके लिए लोगोंसे १,००० रुपये वसूल किये गये, और एक छोटी-सी रकम काटे गये तारोंकी मरम्मतके लिए भी। (बयान ३४० ए)

रामनगर

रामनगर अकालगढ़ जितना ही बड़ा कस्बा है। यह चिनाब नदीके तटपर अकालगढ़से पाँच मीलके फासलेपर स्थित है। यहाँ रेलवे लाइन नहीं है। स्वर्गीय महाराजा रणजीतसिंहका बारादरीके नामसे प्रसिद्ध एक महल भी यहाँ था।

यहाँ ६ अप्रैलको पूरी और १५ अप्रैलको आंशिक हड़ताल हुई थी। रामनगरमें किसी चीजको कोई नुकसान पहुँचाने की खबर नहीं है, पर कहा जाता है कि १५ अप्रैलको सम्राट्का एक पुतला जलाया गया और उसके अवशेष नदीमें बहा दिये गये। हमने बड़ी बारीकी से इस आरोपकी जाँच की है। हमने इसके लिए कई सौ व्यक्तियोंसे पूछताछ की। और हालांकि हमने जो सबूत इकट्ठे किये हैं वे इस आरोपको गलत साबित करनेके लिए पर्याप्त और विश्वासोत्पादक हैं, फिर भी हमने तय किया कि जनतासे सार्वजनिक अपील की जाये कि अगर किसीके पास इसका खण्डन