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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुहम्मद रमजान नामका एक लड़का अनजाने में सैनिकोंके घेरेसे बाहर चला आया था। वह अपनी बकरियाँ चरा रहा था। उसे गोली मार दी गई और वह वहीं ठण्डा हो गया। "दो-तीन ब्रिटिश सैनिकोंने उसकी लाशको उसके साफेसे बाँध दिया और उसे घसीटते हुए गाँवके पासवाले तालाबपर ले जाकर डाल दिया। (बयान ३३०)।

मीर वाजिदअली नामक एक मुगलने अपने एक लम्बे बयान में बतलाया है कि सबूत जटाने के लिए कैसी-कैसी कोशिशें की गई और कैसे गाँववालोंको रोज-ब-रोज तपती धूपमें पुलिस चौकीमें बैठनेके लिए मजबूर किया गया; उसने अन्त में कहा है:

मेरी और मेरे लड़केकी खानातलाशी ली गई और हमें हवालातमें बन्द कर दिया गया। ९ जूनको मुझे और मेरे लड़के इस्लाम बेगको डिप्टी कमिश्नर ओ'ब्रायनके सामने करीब ६ बजे शामको पेश किया गया। साथमें वजीराबादके ५-६ लोग और भी थे। जमीनपर नाक घिसवानेके बाद हमें डिप्टी कमिश्नरने रिहा कर दिया (बयान ३२७, पृष्ठ ४५४)

इस तरह सजाके लिए बिलकुल कोई सबूत न मिलनेपर भी बेकसूरोंको बेइज्जत करने के इरादेसे उनको सज़ा देनेका कोई ऐसा तरीका निकाला जाता था जो आत्म- सम्मानको चोट पहुँचाता हो । इन गाँववालोंसे हर्जानेके तौरपर ६,५०० रुपये वसूल किये गये।

३२४, ३२५, ३२६ और ३३४ नम्बरके गवाहोंने अपनी गवाहियोंमें बतलाया है कि पुलिसने किस प्रकार धमकियों और शारीरिक यन्त्रणाओंका सहारा लेकर झूठी शहादत इकट्ठी करनेकी कोशिशें कीं।

अकालगढ़

अकालगढ़ वजीराबादसे आगे वजीराबाद-लायलपुर रेलवे लाइनपर एक रेलवे स्टेशन है। इसकी जन-संख्या लगभग ४,००० है । इसकी प्रसिद्धिका कारण यह है कि यहाँ सिख-शासनके आखिरी दिनोंमें मुलतानके दो प्रसिद्ध सूबेदारों-- दीवान सावनभल और उनके पुत्र मूलराज--का निवास था।

खुद अकालगढ़ में पिछले अप्रैलके महीने में किसी तरहका कोई भी उपद्रव नहीं हुआ। ६ तारीखको वहाँ हड़ताल हुई और एक सार्वजनिक सभा भी, जिसकी अध्यक्षता दीवान सावनमलके ही एक वंशज दीवान गोपाललालने की। अमृतसर और लाहौरकी घटनाओं और गिरफ्तारियोंको लेकर यहाँ १४ अप्रैलको एक दूसरी हड़ताल हुई। लेकिन वहाँ लोगोंने तार वगैरह १५ तारीखको काटे, जब वहाँ कोई हड़ताल नहीं हुई थी। रेलवे स्टेशनसे और अकालगढ़से भी करीब मील-भरकी दूरीपर तार काटे गये थे। वह हरकत किसी भीड़ने नहीं की थी और जहाँतक हम समझ पाये हैं, उसमें अकाल- गढ़के किसी आदमीका भी हाथ नहीं था। हमारे सामने जो कहानी पेश की गई थी उसके मुताबिक तार काटनेकी हरकत वजीराबादके बैसाखी मेलेसे लौटनेवाले लोगोंने की थी। अकालगढ़ वजीराबादसे २३ मील दूर है।