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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

होने के नाते मुझे उन मार्शल लॉ नोटिसोंकी हिफाजतके लिए जिम्मेदार बना दिया गया। वो आदमी खास तौरसे रखने पड़े जो इस बातकी चौकसी रखते थे कि कहीं कोई शरारती व्यक्ति इन नोटिसोंको फाड़कर ले न जाये या उन्हें कोई नुकसान न पहुँचा दे। इसके अलावा मुझे खुद भी इनकी निगरानीके लिए कई बार जाना पड़ता था। मार्शल लॉके अधिकारी लोग इसके बड़े पाबन्द थे कि न तो नोटिसोंको नुकसान पहुँचाया जाये और न कोई उन्हें छेड़े-छाड़े। (बयान ३०८, पृष्ठ ४२२)

ऐसे नोटिसोंको उखाड़ना या उनको बिगाड़ना मार्शल लॉके विनियमोंको तोड़ना था । और जहाँ-जहाँ ये नोटिस लगे थे उन मकानों में रहने वालोंको इनकी सुरक्षाके लिए जिम्मेदार माना जाता था । डा० दौलतसिंहको गिरफ्तार कर लिया गया और आर्य- समाजके रजिस्टर जब्त करके पुलिस अपने साथ ले गई। डा० दौलतसिंहको १० दिन- तक नजरबन्द रखा गया, उनसे कुछ व्यक्तियोंके खिलाफ गवाही देनेके लिए कहा गया था और बाद में ३० मईके करीब उन्हें रिहा कर दिया गया । ७ जूनको उनको फिर गिरफ्तार कर लिया गया। वे बतलाते हैं कि किस तरह उनके खिलाफ सबूत गढ़े गये, कैसे उनको वकील करनेका भी समय नहीं दिया गया, कैसे बहुत ही कमजोर गवाहीके आधारपर उनको सजा दे दी गई और कैसे कर्नल ओ'ब्रायनने उनसे कहा: चूंकि स्वामी श्रद्धानन्द आन्दोलन में हिस्सा ले रहे हैं, इसलिए तुम भी हिस्सा ले रहे होगे।"(बयान ३०८, पृष्ठ ४२६)

आगे कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति गलतीसे या देख न पानेपर किसी यूरोपीयको सलाम नहीं बजा पाता था तो उसकी पगड़ी उतारकर उसके गले बाँध दी जाती थी। फिर सैनिक लोग उसे घसीटकर कैम्पतक ले जाते थे। वहाँ उसपर या तो जुर्माना किया जाता था या फिर कोड़े लगाये जाते थे। (बयान ३०८ और ३१३) एक गवाह कहता है कि उसने सलाम तो किया था, पर चूंकि किसीने उसे सलाम करते देखा नहीं, इसलिए उसे सम्बन्धित अधिकारीके जूते चाटनेपर मजबूर किया गया। (बयान ३१९) इस बयानकी कई गवाहोंने काफी ताईद की है।

सैनिकोंके लिए नियमित रूपसे मक्खन इकट्ठा किया जाता था और उसके लिए एक कौड़ी भी नहीं दी जाती थी । मक्खन इकट्ठा करना बन्द हुआ तो "सेनाके खर्चके लिए" हर घर पीछे एक रुपया वसूल किया जाने लगा । (बयान ३१४) इससे सिर्फ विधवाओंको बरी किया गया। गवाह साथमें यह भी कहता है कि इस प्रकार जमा की हुई रकम चुक जानेपर और वसूली कर ली जाती थी। उसी गवाहका कहना है कि इसके अलावा वजीराबादसे हर्जाने के तौरपर ६७,००० रुपये अलगसे वसूल किये गये। गवाह खुद नगरपालिकाके एक सदस्य थे, और इसलिए उन्हें अपने वार्डसे अपना हिस्सा जमा करके देना पड़ा था।

खुद उन्हें ७ जूनको गिरफ्तार कर लिया गया और अपनी सफाईमें गवाह पेश करनेके लिए सिर्फ एक घण्टेका समय दिया गया। जिनके पास हथियार थे, उनको