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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ओर चल दिये। रास्ते में कुछ और लोग भी उनके साथ हो लिये। भीड़ने रेवरेंड श्री बेलीका मकान और उनका बेशकीमती पुस्तकालय भी जला दिया। लगता है कि पुलिस घटना स्थलपर मौजूद थी, लेकिन उसने इस सर्वथा अनुचित अग्निकांडको रोकने- का कोई प्रयास नहीं किया। सौभाग्यसे इसमें किसीकी जान नहीं गई। इस विनाश- लीलामें लगता है, किसी भी प्रमुख व्यक्तिने हिस्सा नहीं लिया था। ऐसा जान पड़ता है कि वजीराबादके कुछ प्रमुख नागरिकोंने भीड़के इस उपद्रवको रोकने की थोड़ी-बहुत कारगर कोशिश भी की। रेवरेंड श्री बेलीका मकान वजीराबादसे दो मील और निजा- माबादसे एक मीलकी दूरीपर बस्तीसे बिलकुल अलग जमीनके एक टुकड़ेपर बना हुआ है। भीड़ द्वारा किये गये इस उत्पातका तनिक भी औचित्य नहीं है। इस कांडको और भी अधिक अशोभनीय और भर्त्सनीय बना दिया है इस बातने कि एक निर्दोष और लोकप्रिय मिशनरीके घरको इस काण्डका शिकार बनाया गया था। हमें यह पता नहीं चल सका है कि इस पूरे काण्डके पीछे खास मंशा क्या हो सकता है। सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि जन-समूह यूरोपीयोंके प्रति अपने गुस्सेकी रोमें बह गया था।

कर्नल ओ'ब्रायन पुलिस और सेनाके साथ १६ तारीखको वजीराबाद पहुँचे। तुरन्त ही गिरफ्तारियाँ शुरू हो गईं, और गुजरांवालाकी तरह ही सारा प्रदर्शन वजीराबादमें भी हुआ।

१८ तारीखको एक दरबार किया गया था, जिसमें समाचारके अनुसार कर्नल ओब्रायनने कहा:

ओ बेवकूफ और पागल लोगो ! सुनो, तुमने सोचा था कि ब्रिटिश सरकार खत्म हो गई है। अब तुम्हारा पागलपन ठीक कर दिया जायेगा । हमारे पास उसका इलाज मौजूद है। तुम सब अच्छी तरह समझ लो कि सरकारको पूरा अधिकार है कि वह किसी भी आदमीकी जायदाद जब्त कर सकती है, उसका मकान गिरा सकती है, और इतना ही नहीं, वह चाहे तो उसमें आग भी लगवा सकती है। इसीके मुताबिक, मैं इसके जरिये हुक्म देता हूँ कि जमीयत-सिंह बग्गाकी' सारी जायदाद जब्त कर ली जाये। (बयान ३१३, पृष्ठ ४४२)

दूसरे ही दिन मार्शल लॉ जारी कर दिया गया। स्थानीय आर्यसमाजके भूत- पूर्व मन्त्री डा० दौलतसिंहने फौजी शासनका इन शब्दों में वर्णन किया है:

कई जगहों और कुछ इमारतोंपर मार्शल लॉके नोटिस लगा दिये गये। ये नोटिस उन जगहों और घरोंपर लगाये गये, जिनका गिरफ्तारशुदा लोगोंसे सम्बन्ध था। हालाँकि आर्यसमाजका उन घटनाओंसे कोई सम्बन्ध नहीं था, फिर भी आर्यसमाज मन्दिरपर मार्शल लॉके नोटिस लगा दिये गये। में हड़तालके खिलाफ था और मैंने आन्दोलनमें भाग नहीं लिया था, पर आर्यसमाजका मन्त्री

१. वयोवृद्ध सिख नेता और वजीराबादके प्रमुख नागरिक।