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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आता पाया जायेगा उसे गिरफ्तार कर लिया जायेगा और वह कोड़े खानेके दण्डका भागी होगा।

(हस्ताक्षर) एफ० डब्ल्यू० बरबेरी,

लेफ्टिनेंट कर्नल,

ऑफिसर-कमांडिंग, जिला गुजराँवाला

१८-४-१९१९

और नीचे दिया गया मार्शल लॉका नोटिस बतलाता है कि लॉर्ड हंटरकी समितिके सदस्योंने जिसकी इतनी अधिक चर्चा की और हमारे सामने मौजूद साक्ष्यमें जिसे इतना ज्यादा तूल दिया गया है, उस सलामी आदेश (सैल्यूटिंग ऑर्डर) का मतलब क्या था:

मार्शल लॉ नोटिस नं० ७

हमें पता चला है कि गुजराँवाला जिलेके निवासी आम तौरपर सम्राट्के राजपत्रित कमिश्नरों तथा सैनिक और असैनिक यूरोपीय अधिकारियोंके प्रति सम्मान-प्रदर्शन नहीं करते, जिससे सरकारको प्रतिष्ठा और उसके सम्मानकी रक्षा नहीं हो पाती। इसलिए हम आदेश देते हैं कि गुजराँवाला जिलेके निवा-सियोंको इन सम्माननीय अधिकारियोंसे मिलनेके अवसरपर उनको उतना ही सम्मान देना चाहिए जितना कि भारतके धनी और जाने-माने लोगोंको वे देते हैं।

यदि कोई व्यक्ति घोड़े या किसी गाड़ीपर सवार हो तो उसे ऐसे अवसर-पर नीचे उतर जाना चाहिए। यदि किसीके हाथमें छाता हो, तो उसे वह नीचे कर लेना चाहिए या यदि उसने उसे खोल रखा हो तो बन्द कर लेना चाहिये और सभी व्यक्तियोंको अपने दाहिने हाथसे अदबके साथ सलाम करना चाहिए।

(हस्ताक्षर) एल० डब्ल्यू० वाई० कॅम्बेल,

ब्रिगेडियर जनरल,

ऑफिसर-कमांडिंग, जिला गुजरांवाला

कर्नल ओ ब्रायनने भारतीय प्रथाके आधारपर इस आदेशका औचित्य सिद्ध करनेकी कोशिश की। जो आदेश स्पष्ट ही इतना अधिक अपमानजनक और आत्म-सम्मानको चोट पहुँचानेवाला हो, उसे न तो प्रथाके आधारपर उचित ठहराया जा सकता है, और न विवेकके आधारपर ही। हमारे सामने जो साक्ष्य आया है, उससे प्रकट है कि इसका अमल इस ढंगसे हुआ कि सैनिकोंतक को सलाम करना पड़ता था, और सलाम न करनेकी सजा थी--कोड़े खाना। यदि कोई व्यक्ति उनको सलाम नहीं करता, तो उसकी पीठपर दो-तीन बार छड़ीसे प्रहार किया जाता था। हवेलीरामकी दुकानके सामने हल्दीका एक व्यापारी हल्दी खरीद रहा था। वह उस जगहके लिए नया था,