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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

हंटर समितिके सामने पेश किये गये साक्ष्य में स्वीकार किया गया था और हमारे सामने भी यह तथ्य अच्छी तरह सिद्ध कर दिया गया है कि इन नेताओंको अचानक ही गिरफ्तार कर लिया गया और कुछको कपड़े पहनने या सिरपर पगड़ी-टोपी लगाने तक का समय नहीं दिया गया। दो-दोको एक-एक हथकड़ी पहनाकर, २२ नेताओंको शहरमें दो मील पैदल चलाया गया। सबसे आगे नगरपालिकाके दो सदस्य--एक हिन्दू और एक मुसलमान- -- चल रहे थे । और उनके भोजन और दैनिक आवश्यकताओं- की अन्य वस्तुओंका कोई प्रबन्ध किये बिना उनको एक खुले ट्रकमें लाहौर ले जाया गया। उन बन्दियोंमें गुरुकुलके प्रबन्धक श्री रलियाराम भी थे जिनकी अवस्था लगभग ६३ वर्षकी थी। उनका कहना है:

मैं भी उन २२ बन्दियोंके जत्येमें था। सबको एक साथ एक जंजीरसे बाँधा गया था और एक-एक हथकड़ीसे दो-दो आदमी बँधे हुए थे। हमको इसी दशामें आम सड़कोंपर चलने और दौड़नेके लिए मजबूर किया गया। हमें एक खुले ट्रकमें लाहौर ले जाया गया । हममें से एकको तो टट्टी-पेशाब करनेकी भी इजाजत नहीं दी गई थी। उनसे कह दिया गया कि अपनी सीटपर बैठे-बैठे हो कर लें। लाहौर पहुँचनेपर में अकेला ट्रकसे नहीं उतर सका। क्योंकि दूसरे लोग भी मेरे साथ बँधे हुए थे और जबतक सब नहीं उतरते में भी नहीं उतर सकता था। इसलिए मुझे जबरन नीचे खींचा गया और गठियाका रोगी होनेके कारण मुझे उससे बड़ी पीड़ा हुई । (बयान २८२, पृष्ठ ३८८)

कर्नल ओ ब्रायनसे पूछा गया कि उन्होंने लोगोंको कपड़े पहननेतक का समय क्यों नहीं दिया। उनका उत्तर था कि वे गिरफ्तारीका काम पूरा करनेकी जल्दीमें थे। इसलिए उनसे यह तो पूछा ही जा सकता है कि उन्होंने नेताओंको ट्रकमें बैठाकर सीधे स्टेशन क्यों नहीं भेजा । न भेजनेसे सीधे-सीधे एक ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 'वे' जनताको यह सब दिखलाना और इस तरह आतंकित करना चाहते थे । कर्नल ओ ब्रायनके विचारसे "गिरफ्तार करना तो बड़ी ही रहमदिलीका काम था।"

१६ तारीखको मार्शल लॉकी घोषणा की गई, और उसके तहत गुजरांवालाकी जनताको बेइज्जत किया गया, कोड़े लगाये गये, तथा और भी कई तरहसे अपमानित किया गया। दुकानदारोंको दुकानें खोलनेपर मजबूर करनेके लिए यह विचित्र-सा फर्मान जारी किया गया:

मार्शल लॉके तहत नोटिस नं०२

चूंकि हमें पता चला है कि गुजरांवालाको नगरपालिकाकी हवोंमें रहनेवाले कुछ दुकानदार सेना और पुलिसके सिपाहियोंके खरीद-फरोख्तके लिए आनेपर अपनी दुकानें बन्द कर देते हैं, या वे सेना या पुलिसके सिपाहियोंको उचित भावपर चीजें बेचनेसे इनकार कर देते हैं; इसलिए निम्नलिखित आदेश जारी किये जाते हैं कि इस नोटिसके प्रकाशनके बाद जो भी दुकानदार इस तरह पेश