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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

आपने शायद मार्शल लॉकी घोषणासे पहले किया था? कर्नल ओ ब्रायनका उत्तर था: "जी हाँ।” सर चिमनलालने आगे पूछा:“आपने फोनपर उनसे कहा कि आपको कुछ कदम उठाने पड़ेंगे, और यदि सदाशयतापूर्वक उठाये जायें, तो आप चाहते थे कि उनको कानूनी करार दे दिया जाये, और इसपर उन्होंने आपको हर तरहकी छूट दे दी; यही है इसका उत्तर था: “जी हाँ।" कर्नल ओ'ब्रायनके अनुसार मुख्य सचिवने उनसे कहा कि "समझ-बूझसे काम लेना । सब ठीक हो जायेगा।" यदि दण्डविमुक्ति अधिनियम (इन्डेम्निटी एक्ट) की उत्पत्ति इसीसे हुई हो तो हमें यह कहने में तनिक भी हिचक नहीं कि यह बड़ी शर्मनाक बात थी । और इस अधिकारीने'सदाशयतापूर्वक " क्या-क्या किया, वह अभी सामने आया जाता है।

हमारा निश्चत मत है कि भीड़ने जिस मूल्यवान सम्पत्ति और एक प्रार्थना-स्थलको जो क्षति पहुँचाई, वह बिलकुल मनमानी थी और जिसे किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्ट द्वारा चलवाई गई गोलियों और यहाँ- तक कि पुलपर मरा हुआ बछड़ा टाँगनेकी दुष्टताका हवाला देकर भी आगजनीकी हरकतको उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह सच है कि गोलीबारी और मरा हुआ बछड़ा टाँगनेकी हरकतोंसे जनता काफी अधिक उत्तेजित हो गई थी, परन्तु उनके आधारपर भीड़की इन ज्यादतियोंका औचित्य सिद्ध नहीं किया जा सकता।

कर्नल ओ'ब्रायन जब वापस लोटे, तबतक भीड़का गुस्सा शान्त हो चुका था। उन्होंने सहायता मँगवाई थी और दिनके ३ बजे तक उनकी सहायताके लिए हवाई जहाज पहुँच गये जिनसे सर्वथा निर्दोष व्यक्तियोंपर बमबारी की गई। जिस स्थानपर बमबारी की गई थी वहाँ कोई भी सार्वजनिक सभा नहीं हो रही थी। खालसा बोडिंग हाउसपर बम गिराये गये । उस दृश्यका वर्णन करते हुए एक विद्यार्थी कहता है:

हमने तीन बजे दोपहरके आसपास हवाई जहाजोंकी गड़गड़ाहट सुनी। वे लगभग १० मिनटतक बोडिंग हाउसपर मँडराते रहे। अचानक एक धमाका सुनाई पड़ा, एक गोला नीचे आया और हमारे मिठाईवाले गेंदासिंहके ऊपर पड़ा।...उसके एक छोटेसे टुकड़ेने मेरे दाहिने हाथकी एक अंगुलीको जख्मी कर दिया। उसके धक्केके कारण एक लड़का गिर पड़ा। (बयान २९६, पृष्ठ ४०८)

बोडिंग हाउसके अवीक्षकने भी एक बयान दिया है। उनका कहना है। हमारे स्कूलमें कभी कोई राजनीतिक सभा नहीं हुई थी, न उसकी इजा- जत ही है। १४ अप्रैलको बोडिंग हाउसका कोई भी विद्यार्थी शहर नहीं गया था। हमारा स्कूल और बोडिंग हाउस शहरसे आघा मील और स्टेशनसे एक मीलसे कुछ ही अधिक दूर हैं। (बयान २९७, पृष्ठ ४०९)

लॉर्ड हंटरकी समितिके समक्ष कप्तान कार्बेरीने तो अपनी गवाहीमें कहा कि उन्होंने "आती या जाती हुई भीड़को तितर-बितर करने" के आदेश दिये। लेकिन, जहाँतक खालसा बोर्डिंग हाउसपर बमबारीकी बात है, वहाँ आती या जाती हुई कोई भीड़ नहीं थी

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