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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पुलिसकी सहायताकी और सब शान्त हो गया। फिर भी इन दोनों गाँवोंको मार्शल लॉके परिणाम भुगतने पड़े।

गुजराँवाला

गुजराँवाला जिला कई दृष्टियोंसे प्रान्तके सबसे महत्त्वपूर्ण जिलोमें से है। गुजराँ-वाला स्वयं एक छोटा-सा कस्बा है जिसकी आबादी ३०,००० है, लेकिन वह महाराजा रणजीतसिंहजीका जन्म स्थान होने के कारण विशेष प्रसिद्ध है । यह बड़ी लाइनपर,लाहोरसे सिर्फ ४२ मील दूर, एक महत्त्वपूर्ण रेलवे स्टेशन भी है। इस जिलेमें गुजरा-वालाके अतिरिक्त जिन स्थानोंकी ओर हमारा ध्यान गया है वे हैं-- वजीराबाद, निजा- माबाद, अकालगढ़, रामनगर, हाफिजाबाद, सांगला हिल, मोमन, धबन, मनियाँवाला नवाँ पिण्ड, चूहड़खाना और शेखूपुरा । गत नवम्बर माहकी १ तारीखको गुजरांवाला‌जिलेको दो हिस्सोंमें विभाजित कर दिया गया, और दूसरे हिस्सेका नाम शेखूपुरा जिला रखा गया । इसलिए हम अपनी इस रिपोर्टमें इन दोनों जिलोंको नवम्बरसे पहलेकी ही तरह एक जिला मानकर चले हैं, जो एक ही प्रशासकके क्षेत्राधिकारमें था।

पिछली १३ अप्रैलतक, बल्कि १४ अप्रैलतक कहना ज्यादा ठीक होगा --यहाँ कोई हलचल नहीं थी। स्थिति इतनी सामान्य थी कि १२ तारीखको कर्नल ओ'ब्रायन- का तबादला सामान्य क्रममें अम्बालाको कर दिया गया था। गुजरांवालाके उनके मित्रों और प्रशंसकोंने उनको एक मानपत्र भी दिया था। हंटर समितिके एक प्रश्नके उत्तरमें उन्होंने कहा था कि यदि उनको या उनके अधिकारियोंको किसी गड़बड़ीका अन्देशा होता तो उनका तबादला अवश्य ही रोक दिया जाता और वे गुजरांवालामें ही रहते; और जैसा कि सचमुच हुआ, गड़बड़ी होते ही उन्हें १४ तारीखको तुरन्त वापस बुला लिया गया । ३० मार्चको गुजरांवालामें बिलकुल कोई हलचल नहीं हुई, और न हड़ताल ही हुई। ४ अप्रैलको श्री गांधी के सन्देशके सिलसिले में जिला कांग्रेस कमेटीके सदस्योंने हड़तालके प्रश्नपर अनौपचारिक रूपसे विचार किया। ५ तारीखको एक विशाल सार्वजनिक सभा की गई, जिसमें रौलट कानूनके बारेमें चार बड़े ही निर्दोष किस्मके प्रस्ताव पास किये गये । सभामें बड़े ही संयत किस्मके भाषण किये गये। लेकिन कर्नल ओ'ब्रायन इस सभाको लेकर पहलेसे चिन्तित हो रहे थे; इसी कारण उन्होंने गुजराँ- वालाके कुछ जाने-माने लोगोंको बुला भेजा; और उन्हें आगाह कर दिया कि अगर कोई गड़बड़ हुई तो उनको ही जिम्मेदार माना जायेगा। इसपर उन लोगोंने डिप्टी कमिश्नरसे और पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्टसे, जो इस मुलाकातके अवसरपर उपस्थित थे, कहा था कि वे चाहें तो स्वयं सभामें आ सकते हैं। ६ अप्रैलको सुबहसे ही मुकम्मल हड़ताल रही और बूढ़े-जवान, सभी लोगोंने उपवास और प्रार्थनामें हिस्सा लिया। हमारे सामने दिये गये कई लोगोंके बयानोंसे पता चलता है कि अधिकारियोंने हड़ताल, और यहाँतक

१.हंटर समितिके समक्ष श्री मासैंडन द्वारा दिये गये वधानके मुताबिक पट्टीमें भी ३१ व्यक्तियोंको सजाएँ सुनाई गई थीं, जिनमें से १४ को कोड़े लगानेकी सजा दी गई थी।

२.गुजराँवालाके डिप्टी कमिश्नर।