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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्ध में कांग्रेसकी रिपोर्ट


तथ्योंको बिलकुल ही धता बतला देने और धृष्टताके साथ अपने रवैयेपर अड़े रहने के मामलेमें शायद कोई भी अफसर कर्नल मॅकरेको मात नहीं दे सकता है, बल्कि इस मामले में तो मार्शल लॉके प्रशासनका भार सँभालनेवाले उनके अन्य सहयोगी अफसरोंमें से शायद ही कोई उनकी बराबरी कर पाया हो। हंटर समितिके समक्ष अपने बयान में उन्होंने कहा कि "यह शहर पिछले कई वर्षोंसे राजद्रोहके लिए विख्यात रहा है।" साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कसूरके बारेमें इससे पहले उनको कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए सर चिमनलालने उनसे पूछा :

प्र॰—तब फिर आपने यह बात किस आधारपर कही है?
उ॰—सब सुनी-सुनाई बात है।
प्र॰—आपको व्यक्तिगत रूपसे कोई जानकारी नहीं थी?
उ॰—जी नहीं।
प्र॰—आपसे किसने कहा कि यह स्थान पिछले कई वर्षोंसे राजद्रोहके लिए विख्यात रहा है?
उ॰—मैं इस प्रश्नका उत्तर नहीं देना चाहता।
प्र॰—आप जो बात कह रहे हैं वह अधिकारियोंके समक्ष पेश किये जानेवाले एक काफी जिम्मेदारीके दस्तावेजमें शामिल की जायेगी, इसलिए में जानना चाहता हूँ कि आपके इस बयानका क्या आधार है?
उ॰—मैंने जो कुछ लिखा है, उसे वहींतक रहने देना चाहता हूँ।
प्र॰—ठीक है, आप उसे वहींतक रहने दे सकते हैं, लेकिन में आपके उस बयानका कारण जानना चाहता हूँ। मैं यह प्रश्न इसलिए पूछ रहा हूँ कि अधिकारियोंने इससे पहले कहा है कि कसूरमें १० अप्रैलसे पहले कोई भी राजनीतिक हलचल कभी देखने में नहीं आई; राजनीतिके नामपर वहाँ पहले कभी कुछ नहीं हुआ। और इसलिए आपके बयानमें यह सुनकर मुझे ताज्जुब होता है कि कसूर पिछले अनेक वर्षोंसे राजद्रोहके लिए विख्यात रहा है। क्या आप अब भी अपनी बातको सही मानते हैं?
उ॰—मैं इसका उत्तर नहीं दूंगा।
×××
प्र॰—बयान में इसके बाद आपने कहा है : "इस शहर में ऐसे वकील मौजूद हैं जो अपनी सरकार-विरोधी भावनाओंके लिए प्रसिद्ध हैं।" क्या यह भी सुनी-सुनाई बात है?
उ॰—जी हाँ!
प्र॰—और क्या इसपर वे सारी चीजें लागू होती हैं जो आपने अपनी पिछली बातके बारेमें कही हैं?
उ॰—जी हाँ!