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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रियाँ की गईं। कुल मिलाकर १७२ व्यक्ति गिरफ्तार किये गये, जिनमें से ९७ को मुकदमा चलाये बिना रिहा कर दिया गया। जिन ७५ व्यक्तियोंपर मुकदमे चलाये गये, उनमें से ५१ को सजा हुई। गिरफ्तारशुदा लोगोंमें मौलवी गुलाम, मोहिउद्दीन और मौलवी अब्दुल कादिर भी थे जिन्होंने श्री और श्रीमती शेरबोर्नकी जान बचाई थी और जिन्होंने अन्य प्रकारसे भी भीड़को ज्यादतियाँ करनेसे रोका था। इनमें से कई नेताओंके घरोंकी तलाशी ली गई थी, जिसके लिए जरा भी कोई कारण नहीं था । १ मईको औरतों और बच्चोंको छोड़कर कसूर कस्बेके सभी लोगोंको शिनाख्तके लिए रेलवे स्टेशनपर हाजिर होनेको कहा गया। उन सभीको पानी और भोजनके बिना कड़ी धूपमें दो बजे दोपहरतक नंगे सिर बैठाया गया। एक गवाहने लॉर्ड इंटरके सामने कहा भी था कि यह सारा तरीका बिल्कुल ही बेमतलब था और सबूत इकट्ठा करनेमें इससे कोई स्पष्ट लाभ नहीं दिखा। हम लोगोंको कानूनका और सबूत इकट्ठे करने तथा उसकी जाँच करने के तरीकेका थोड़ा-बहुत अनुभव है। उसके आधारपर हम बिना किसी झिझकके कह सकते हैं कि इस ढंगसे एक खुली कवायद कराकर सही-सही शिनाख्त करना नामुमकिन है, और इस प्रकार कराई गई शिनाख्त- को वास्तव में कोई महत्त्व भी नहीं दिया जा सकता। हमें शक है कि यह तथाकथित कवायद कस्बे-भरको अपमानित करने और आतंक फैलानेके लिए ही कराई गई। क्योंकि लोगोंके जमा हो चुकनेके बाद कुछ तहकीकाती दस्ते कस्बेमें यह देखनेके लिए भेजे गये थे कि कहीं कोई पीछे रह तो नहीं गया है। इन दस्तोंके सामने घरोंकी अरक्षित महिलाओंकी क्या दशा हुई होगी इसकी कल्पना आसानीसे की जा सकती है।

कसूरमें मुकदमोंके दौरान ४० व्यक्तियोंको कोड़े मारनेकी सजा दी गई। कुल मिलाकर ७१० कोड़े लगाये गये। स्टेशनके प्लेटफॉर्मपर ही कोड़े लगानेकी टिकटी खड़ी की गई। स्कूली बच्चोंको भी कोड़े लगाये गये। कहा जाता है कि एक स्कूलके हेडमास्टरने रिपोर्ट की थी कि उसके स्कूलके लड़कोंमें उद्दण्डता बढ़ रही है और उसके लिए सेनासे सहायता मांगी थी। इसपर कमांडिंग अफसरने सुझाया कि कुछ लड़कोंको कोड़े लगाये जायें। इसलिए इस स्कूल और एक अन्य स्कूलके लड़कोंको वहाँ इकट्ठे होनेका आदेश दिया गया। हेडमास्टरसे ६ लड़के चुननेके लिए कहा गया। हेड- मास्टरने ऐसे लड़कोंको चुना जिनकी शुमार बहुत अच्छे लड़कोंमें नहीं की जाती थी। लेकिन ये लड़के शारीरिक रूपसे इतने स्वस्थ नहीं थे। इसलिए कमांडिंग अफसरने उस चुनावको रद्द कर दिया और श्री मार्सडनसे दूसरे लड़के चुननेके लिए कहा। और इस प्रकार उन्होंने शिकायत करनेवाले स्कूल और एक अन्य स्कूलके लड़कोंमें से कुछ लड़के चुने, सिर्फ इस आधारपर कि वे अन्य लड़कोंकी अपेक्षा कोड़े खानेके लिए शारीरिक रूपसे अधिक उपयुक्त थे। चुने गये लड़कोंको अन्य लड़कोंकी उपस्थिति में स्टेशन के प्रवेश द्वारके बाहर खड़े करके कोड़े लगाये गये। लॉर्ड हंटरके यह पूछनेपर कि कोड़े लगानेका उद्देश्य क्या था, श्री मार्सडनने उत्तर दिया कि कोई खास उद्देश्य नहीं था। याद रखने की बात है कि इस मामले में यहाँ मार्शल लॉ सम्बन्धी किसी अपराधका कोई प्रश्न नहीं था, न कोई जाँच-पड़ताल कराई गई थी और न उनपर