पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/२७६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गवाहोंको खास तौरपर जो संरक्षण दिया जाता था, वह तो सचमुच एक मखौल था। यदि उनके अपने बयानोंकी विसंगति प्रकट करवाने के इरादेसे सवाल पूछे जाते थे तो उनको राजद्रोहपूर्ण माना जाता था। बहुत बार तो गवाह लोग किसी घटनाके बारेमें बयान दे चुकनेके बाद उस सिलसिलेमें सवाल पूछे जाने-पर कह देते थे: "मुझे याद नहीं।" इसके बाद आपको सचाई निकलवानेकी गरजसे उसकी याददाश्तपर जोर डालने के लिए आगे कोई भी सवाल पूछनेकी इजाजत नहीं दी जाती थी । और अगर कोई पूछ ही बैठता तो कमिश्नर लोग हस्तक्षेप करने लगते थे : 'क्या आपने सुना नहीं, वह कह रहा है कि उसे याद नहीं।" मैंने जो उपर्युक्त तथ्य बताये हैं वे माननीय न्यायमूर्ति लेस्ली जोन्सकी अध्यक्षतामें काम करनेवाली उस अदालतके व्यक्तिगत अनुभवके आधार-पर बताये हैं जिसने लाहौरके नेताओंके मुकदमेकी सुनवाई की थी।

मुकदमेकी कार्रवाईके आखीरमें ज्यादा बहस नहीं करने दी जाती थी। बहुत बार तो उसके लिए वक्त मुकर्रर कर दिया जाता था कानूनकी बिना-पर उठाये जानेवाले एतराज बड़ी उपेक्षाके साथ ठुकरा दिये जाते थे। मैं जब गुजराँवालाके नेताओंके मुकदमेमें माननीय न्यायमूर्ति श्री ब्रॉडवेकी अध्यक्षतामें बैठे न्यायाधिकरणके सामने गया, तो मैंने क्षेत्राधिकारके बारेमें अभी जो मुद्दे प्रीवी कौंसिलके सामने उठाये गये हैं, लगभग वे सारे मुद्दे एक अर्जी पेश करके उठाये। विद्वान् कमिश्नरने पहले तो मेरी बात सुननेसे ही इनकार कर दिया और कहा कि मेरी अर्जी न्यायालयोंका गठन करनेवाले मण्डलके पास जरूरी कारं-वाईके लिए भेज दी जायेगी। और जब मैंने विरोध किया और सेना अधिनियमका यह खण्ड उद्धृत किया कि न्यायालयका गठन कर देनेके बाद न्यायालयोंका गठन करनेवाले मण्डलका कोई क्षेत्राधिकार नहीं रहता, और इसलिए अब न्याया-धिकरणको ही इन मुद्दोंपर अपना फैसला देना होगा, तो उन्होंने बहुत ही बुरा मानते हुए मुझे अपनी दलीलें पेश करनेकी इजाजत दी, लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कह दिया कि मुझे क्षेत्राधिकार सम्बन्धी अपने ७-८ मुद्दोंके पक्षमें दलीलें पेश करने के लिए सिर्फ आधा घण्टेका समय दिया जायेगा। मेरी आपत्तियोंपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। मैंने अपनी दलीलें पेश करनी शुरू कीं। पर सरकारी वकीलने मुझे बीच ही में टोक दिया और मेरे किसी फिकरेपर एतराज कर दिया। इसपर कमिश्नर तुरन्त बोल पड़े: श्री हर्बर्ट, आप एतराज करना जरूरी क्यों मानते हैं ? इस तरह तो उनको और ज्यादा समय लग जायेगा।उनको अपनी बात कह लेन वीजिए जिससे कि हमारा पीछा छूटे।" आधे घण्टेसे कुछ ही ज्यादा समय हुआ होगा कि मुझसे अपनी बहस रोकनेको कह दिया गया, क्योंकि मुझे केवल पाँच मिनटका ही समय और दिया गया था। मुझे उसका पालन करना पड़ा और अदालतने उसका जवाब देनेके लिए दूसरे पक्षको