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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

क्योंकि जब में शिमलासे लौटा तो मुझे बतलाया गया कि मेरी अनुपस्थिति में खुफिया पुलिसका आदमी नियमित रूपसे मेरे घरके आसपास मँडराया करता था और उससे जब-तब मेरे परिवारके लोगोंको डर लगने लगता था। उसके बादसे मेरे सभी कामोंपर बराबर नजर रखी जाती रही और इधर कुछ ही दिनों से उसमें कुछ ढिलाई आई है।

मैंने ऊपर जो-कुछ कहा है, उससे स्पष्ट हो जायेगा कि अभियुक्तों की ओरसे मुकदमा लड़नेवाला कोई वकील लगभग था ही नहीं, और सरकार उनको बिना किसी विरोधके शीव्रताके साथ सजाएँ दिलानेमें सफल हो गई। मार्शल लाँके क्षेत्रमें बाहरके वकीलोंके प्रवेशपर प्रतिबन्ध लगानेवाले आदेशका मंशा यही था कि पंजाबसे बाहरकी जनताको सरकार द्वारा वहाँ किये जा रहे अत्या-चारोंका कोई पता न चल पाये; और न्यायिक कार्रवाईके नामपर यहाँ किये जानेवाले घोर अन्यायके विरुद्ध कहीं कोई भी आन्दोलन खड़ा न हो पाये।

अभियुक्तोंकी एक अच्छी पैरवीके मार्गमें इतनी कठिनाइयाँ पैदा करके भी न्यायाधिकरणोंको सन्तोष नहीं हुआ । न्यायाधिकरणोंने इससे भी आगे बढ़कर कुछ ऐसी हरकतें कीं जो बहुत ही मोटे ढंगका न्याय करनेका दावा रखनेवाली कोई भी अदालत, चाहे वह दीवानी अदालत हो या सैनिक, करनेका साहस नहीं करेगी। वाइसरायकी ओरसे जारी किये गये अध्यादेशने न्यायालयोंका गठन करनेवाले मण्डल (कनवीनिंग अथॉरिटी) को यह अधिकार प्रदान किया कि वह "जनसुरक्षाके हितको दृष्टिसे जहाँ भी आवश्यक हो" वहाँ ऐसी अदालत बैठा सकती है,जिसे एक समरी सैनिक अदालत (समरी जनरल कोर्टमार्शल) के सभी अधिकार प्राप्त हों। लेकिन चारों मार्शल लॉ अदालतोंने सभी मुकदमोंकी सुनवाई समरी सैनिक अदालतों--या जिसे 'ड्रमहेड कोर्ट मार्शल' कहा जाता है--के अधिकारोंके अन्तर्गत ही की। मैं यहाँ खुलासा कर दूं कि ये सैनिक अदालतें युद्ध क्षेत्रमें लड़ती हुई सेनाओंके लिए बैठाई जाती हैं जहाँ सामरिक आवश्यकताओं को देखते हुए अदालती कार्यविधिकी बारीकियाँ निबाहना सम्भव नहीं होता।

इन मुकदमों में अभियुक्तोंके वकीलोंके साथ शिष्टताका बरताव नहीं किया जाता था, उन्हें महसूस कराया जाता था कि सरकार उनको बस किसी तरह निबाहे जा रही है । उनके उचितसे उचित अनुरोधोंको भी अत्यन्त धृष्टतापूर्वक ठुकरा दिया जाता था और कभी-कभी तो वकीलोंको सचमुच बेइज्जत भी कर दिया जाता था।

अभियुक्तोंकी ओरसे कोई मुकदमेकी कार्रवाईको दर्ज करे, इस बातकी किसीको अनुमति नहीं थी, सिवाय इसके कि वकील लोग ही कार्रवाईका संक्षिप्त ब्यौरा नोट कर लेते थे। दरअसल न्यायालयोंका गठन करनेवाले मण्डलकी ओरसे