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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्र० - क्या यह सच है कि कालेजके छात्रावासोंके सभी विद्यार्थियोंको गिरफ्तार कर लिया गया?

उ० - मेरा आदेश था कि इमारतमें जितने भी पुरुष हों, सभीको गिरफ्तार कर लिया जाये।

प्र०- कितने लोग गिरफ्तार किये गये थे?

उ० - ५००।

प्र० - इस नोटिसको फाड़नेके लिए ५०० विद्यार्थी गिरफ्तार किये गये ?

उ०-और प्रोफेसर लोग भी ।

प्र०-और सभी गिरफ्तारशुदा लोगोंको फोर्टतक तीन मील पैदल चलाकर ले जाया गया?

उ०- बिलकुल ठीक है।

प्र० और उस पैदल यात्राके दौरान उन लोगोंको अपने-अपने बिस्तर कंधे या सिरपर ले जानेका हुक्म दिया गया था ?

उ०-हाँ, जो अपने बिस्तर ले जाना चाहते थे, वे ले जा सकते थे।

प्र०- क्या उनको ऐसा हुक्म नहीं दिया गया था?

उ०- मैंने इसके लिए कोई आदेश नहीं दिया था। यह तो उनकी इच्छा-पर था।

प्र०- लाहौरकी गर्मियोंके दिनोंमें?

उ०- वह मई महीनेका दिन था।

प्र०- लाहौरमें बहुत गर्मी पड़ रही थी न?

उ०- जी हाँ ।

प्र०- इन पाँच सौके-पाँच सौ विद्यार्थियों और प्रोफेसरोंको तीन मील पैदल चलाया गया ?

उ०-बिलकुल ।

प्र०- और आपके हुक्मसे उन्हें फोर्टमें रखा गया ?

उ०- जी हाँ, ऐसा ही है।

प्र०- उनको कितने अरसेतक वहाँ रखा गया था ?

उ०-मेरा खयाल है दिन-भर-क्षमा कीजिएगा, दो दिनतक।

प्र०-और इसके बाद प्रिंसिपलसे उन नोटिसोंकी रखवालीके बारेमें कुछ वचन लेकर उनको रिहा कर दिया गया ?

उ०-जी हाँ, जब मुझे आवश्यक आश्वासन मिल गया कि ऐसी घटना फिर नहीं होगी।

प्र०- कर्नल, मैं आपसे पूछता हूँ कि आपने जो कदम उठाया था उसे क्या आप उचित समझते हैं ?

उ०- जी हाँ, मैं तो इसकी ताकमें था। मैं ठीक ऐसे ही अवसरकी ताकमें था।