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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रिहाईके दिन, १६ मईकी सुबहतक में इसी वार्डमें रहा। मेरा खयाल है, इस दौरान मैंने अपने मित्रों और सम्बन्धियोंसे बाकायदे तीन बार मुलाकातें कीं जिनमें से एक बहुत ही थोड़ी देरके लिए थी, और दूसरी मैंने विशेष तौर-पर कुँवर दलीपसिंहसे की थी, क्योंकि सरकारने उनको ऐसे कैदियोंके मुकदमे लड़नेके लिए नियुक्त किया था जो अपने वकील खड़े नहीं कर सकते थे और इस सिलसिलेमें वे अक्सर जेल आते-जाते रहते थे; और एक तीसरी मुला-कातका मौका तब मिला जब सुपरिटेंडेंटन खास मेहरबानी करके मेरे भाईको जो लाहौरसे होकर गुजर रहा था, मुझसे मिल लेने दिया।

इस पूरे दौरान मुझे बिलकुल नहीं बतलाया गया कि मुझपर क्या आरोप लगाया गया है। मुझे सर्वथा अनिश्चयात्मक स्थितिमें रखा गया।

श्री मनोहरलालते हमें इसका भी थोड़ा आभास दिया है कि उनकी बीमार पत्नी और बच्चोंपर क्या गुजरी?वे कहते हैं:

जेलकी एक मुलाकातके दौरान मुझे पता चला कि मेरी गिरफ्तारीके बाद मेरे घरकी तलाशी हुई। मेरी गिरफ्तारीके मुश्किलसे पौन घंटे के बाद ही उस-पर ताला ठोक दिया गया। मेरी बीमार पत्नी और मेरे बच्चोंको अहातेमें बनी नौकरोंकी कोठरियों और रसोईघरमें शरण लेनी पड़ी और उनको मित्रों द्वारा दिये गये बिस्तरोंको इस्तेमाल करना पड़ा। तलाशी १९ अप्रैलको हुई और उस दिन शामको करीब ६ बजे मेरे परिवारके लोगोंको मकानमें वापस जानेकी इजाजत मिल पाई।

पुलिस दो-तीन कीमती किताबें भी अपने साथ ले गई, जो श्री मोहनलाल द्वारा बयान दिये जानेके दिनतक उन्हें वापस नहीं की गई थीं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारीकी कहानीका अन्त इन शब्दों में किया है:

मुझे आजतक भी पता नहीं चल पाया है कि मुझपर क्या आरोप लगायागया था, या वह कौन-सी चीज थी जिसके कारण मुझे गिरफ्तार करके जेलमें रखना जरूरी हो गया था।

पनी गिरफ्तारीके सम्भावित कारणोंका अनुमान लगाते हुए वे कहते हैं:

मुझे अपनी वकालतके कामके बाद जितना भी समय मिलता है वह सब में अध्ययन में लगाता हूँ, इसलिए में शहरके सक्रिय जीवनमें भाग नहीं लेता।डिप्टी कमिश्नरने कई बार जनताके प्रतिनिधियोंकी जो बैठकें बुलाई, उनमें मुझे कभी भी नहीं बुलाया गया था; न में उनमें कभी अन्य किसी प्रकारसे गया;और हड़ताल बन्द कराने के तरीके सोचनेके लिए गैर-सरकारी लोगों द्वारा बुलाई गई किसी बैठक में भी में शामिल नहीं हुआ। (बयान १५०, पृष्ठ १९८) ।

कोई भी अधिकारी, जो श्री मनोहरलालके समान किसी प्रतिष्ठित व्यक्तिको बिना पूरी-पूरी जाँच पड़ताल और छानबीन कराये ही गिरफ्तार करने की अनुमति