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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

वे आगे कहते हैं:

दिनके करीब २ बजे पुलिस मुझे तारघरसे हटाकर सेन्ट्रल जेल, लाहौर ले गई, जहाँ फाटकपर घड़ी और चेन, पेन्सिल, रेजगारी इत्यादि जमा कराने और रजिस्टरपर हस्ताक्षरकी जगह सिर्फ अँगूठा-निशानी लगवानेकी सामान्य रस्में पूरी कर लेने के बाद मुझे जेलके वार्ड नं० १४ को एक कोठरीमें ले जाया गया। यह वार्ड फाँसीको सजा पानेवाले कैदियोंके लिए है, या उनके लिए जो हत्या या ऐसे ही अन्य अभियोगोंके हवालाती होते हैं। मुझे इस कोठरीमें कुछ समय बाद दो गन्देसे कम्बल और खाने-पीने के लिए लोहेके दो तसले जेलकी तरफसे दिये गये। कोई तीन घंटे बाद मुझे "चक्कीखाना " नामक जेलके एक दूसरे हिस्लेमें पहुँचा दिया गया, जहाँ कई कोठरियाँ बनी थीं और जिनमें अनाज पीसनेका इन्तजाम था। में उन कोठरियोंका वर्णन नहीं करना चाहता क्योंकि उनको आसानीसे देखा जा सकता है। टट्टी-पेशाब और नहाने वगैरहका सारा इन्तजाम उस छोटी-सी कोठरीमें ही था, जहाँ मिट्टीके बदबूदार बरतन रखे हुए थे, जिन्हें दिनमें सिर्फ दो बार साफ किया जाता था। इस कोठरीमें रहते समय मुझे सुबहके वक्त पचास गजके बँधे-बँधाये फासलेमें थोड़ी-सी देरके लिए घूमने और यदि चाहूँ तो हाथ-मुँह धोनेके लिए नलतक जानेकी इजाजत थी। मेरे पास अपने कपड़े नहीं थे, केवल वही सूट था जो में गिरफ्तारीके वक्त पहने हुए था । २१ तारीखको शामके समय जाकर मुझे कुछ-और कपड़े मिले, जो मेरा लड़का मुझसे मुलाकातके लिए आते समय ले आया था।

मेरी गिरफ्तारी के दिन करीब-करीब शामतक मेरी पत्नी और बच्चोंको बिलकुल पता नहीं था कि मुझे कहाँ रखा गया है। मुझे उनके साथ पत्र-व्यवहार करने की अनुमति नहीं मिली। सिर्फ शनिवारकी शामको में जेल सुपरिन्टेंडेंटके जरिये एक पोस्टकार्ड अपने घर भिजवा सका था।

सोमवार, २१ अप्रैलको मेरे मित्र कुँवर दलीपसिंह, बार-एट-लॉ मेरे लड़केके साथ मुझसे मुलाकात करने जेलमें आये, लेकिन मुझे दोनोंमें से सिर्फ एकसे मुलाकात करने की इजाजत दी गई और मैं जेल-दारोगाकी मौजूदगीमें अपने बैरिस्टर मित्रसे सिर्फ चन्द मिनटके लिए मिल सका। अपने लड़केसे एक मिनटके लिए भी मुलाकात, अगर उसे मुलाकात कहा जा सकता हो तो, करनेका मेरा अनुरोध सुपरिन्टेंडेंट श्री कॉवनने ठुकरा दिया।

बुधवार, २३ तारीखको मुझे यूरोपीयोंवाले वार्डमें भेज दिया गया, जहाँ पहलेकी अपेक्षा थोड़ा आराम था, क्योंकि वहाँ चलने-फिरनेकी कुछ ज्यादा आजादी थी, जगह भी ज्यादा थी और संडास तथा नहाने-धोनकी जगहें ज्यादा साफ थीं और वहाँ एक छोटा-सा पुस्तकालय भी था।