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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जलियाँवाला बागका कत्लेआम अमानुषिक और प्रतिहिंसापूर्ण था और जो स्थिति उस समय थी या जो घटनाएँ बादको घटीं उन्हें देखते वह सर्वथा अनावश्यक और अनुचित था; और स्वयं जनरल डायरके बयानके अनुसार अमृतसरमें फौजी कानून किन्हीं स्थानीय कारणोंसे उचित नहीं ठहरता और उसकी अवधि बढ़ाना अधिकारका मनमाना दुरुपयोग था तथा उस कानूनपर अमल करना एक सभ्य सरकारके लिए बिलकुल अनुपयुक्त था।

२. तरन तारन

तरन तारन अमृतसर जिलेका एक भाग है और रेलवे स्टेशन है। यह अमृतसरसे १६ मील दूर है और सिखोंके केन्द्र के रूप में इसका स्थान अमृतसरके बाद दूसरा है। पुलिस सब-इस्पेक्टर द्वारा आरोप लगाया गया था कि यहाँ खजानेको लूटनेका प्रयत्न किया गया। हमारे पास जो साक्ष्य है वह सिद्ध करता है कि यह आरोप बिलकुल बनावटी था। फिर भी इस आरोपके आधारपर लोगोंकी एक विशाल संख्याको समरी अदालत द्वारा सजा दी गई है।

लाहौर शहर

राजनैतिक महत्त्वकी दृष्टिसे लाहौर पंजाबका प्रथम कोटिका नगर है। यह उसकी राजधानी और सरकारका सदर मुकाम है। फिर भी हमने अमृतसरको पहले लिया, क्योंकि एक तो सिखोंके गढ़के रूप में उसका जो महत्त्व है उसके अतिरिक्त, गड़बड़ी पहले वहीं शुरू हुई थी और दूसरे, सरकारको नीति अमृतसरमें ही निश्चित हुई थी। लाहौर एक बड़ा जंकशन है और यहाँसे पेशावर, कलकत्ता, कराची और बम्बईको गाड़ियाँ जाती हैं। लाहौर और दिल्लीके बीच २९८ मीलका फासला है। छावनीके इलाकेको छोड़कर लाहौरकी जनसंख्या २,५०,००० है, जिसमें मुसलमान तबका ज्यादा है और हिन्दुओंकी संख्या मुसलमानोंकी संख्याकी लगभग एक तिहाई है।

लाहौर में लड़कोंके दस और लड़कियोंके दो कालेज हैं। इसके अतिरिक्त लड़कों और लड़कियोंके लिए बहुत सारे हाईस्कूल भी हैं। पंजाब विश्वविद्यालय भी यहीं है। यहाँसे अंग्रेजीके दो दैनिक पत्र निकलते हैं: एक तो सामान्य रूपसे नौकरशाही और यूरोपीय वाणिज्यके हित में निकलता है और दूसरेकी निष्ठा भारत के राष्ट्रीय हितोंके प्रति है। जन-भाषाओंमें यहाँसे कई दैनिक और सप्ताहिक पत्र निकलते हैं, इसलिए शिक्षित वर्ग के लोग लाहौरमें पंजाबके सब शहरोंसे अधिक हैं और रोजकी घटनाओंकी जितनी खबर इस शहरके लोगोंको मिलती है उतनी पंजाबके किसी और स्थानके लोगोंको नहीं। पंजाबकी यह विशेषता रही है, और सर माइकेल ओ'डायरने इसके लिए उसे बधाई भी दी है, कि उसे भारतीय राजनीतिसे अपेक्षाकृत कम लगाव रहा है। किन्तु हाल में यहाँ राजनीतिक जीवन संगठित किया जाने लगा था और इसमें नेतृत्व लाहौर कर रहा था। सर माइकेल ओ'डायरके उस भाषणसे, जो उन्होंने अपने कार्य-कालके श्रीगणेशके अवसरपर कौंसिल में दिया था और जिसका हम पहले जिक्र कर चुके हैं, इस जागरणको बल मिला। फिर रौलट कानून जारी होने के बाद भारत में जो राजनीतिक