पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/२४६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जिसमें उन्हें और उनके साथ दूसरे बन्दियोंको बन्द करके रखा गया; उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह जलील किया गया और उन आरोपोंकी चर्चा की है जो उनपर लगाये गये थे। अन्तमें उन्हें रिहा कर दिया गया। वे अपना बयान इस प्रकार समाप्त करते हैं:

गुलाम जिलानी नामक एक व्यक्तिको यन्त्रणा देकर पुलिसने उससे मेरे विरुद्ध झूठी गवाही दिलवानेका प्रयत्न किया। मेरे मुकदमेकी सुनवाईके दौरान मार्शल लॉ कमिशनके सामने उसने यह बात स्वीकार की। इस प्रकार मुझे गिरफ्तार करके ढाई महीनेतक हिरासतमें रखा गया और मृत्युदण्ड देनेके लिए मुझपर मुकदमा चलाया गया। (बयान ८८)

बैरिस्टर श्री गुरदयाल सिंह सलारियाको भी गिरफ्तार किया गया। वे उन लोगों में से थे जिन्होंने १० अप्रैलको अपनी जान हथेलीपर रखकर भीड़को पुलसे वापस लौटानेका प्रयत्न किया था। वे भी उस अपमानजनक व्यवहारका वर्णन करते हैं, जो उनके साथ किया गया। वे २३ मईसे ५ जुलाईतक हिरासत में रहे। (बयान ८७)

झूठी गवाही तैयार करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा की गई अन्धाधुन्ध गिरफ्तारियों और लोगोंको दी गई यन्त्रणाओंका वर्णन करते हुए हमने जो-कुछ लिखा है वह शायद फौजी कानूनके नामपर किये गये जुल्म और ज्यादतियोंकी कहानीका सबसे काला अव्याय है। जलियाँवाला बाग कांडका नाटकीय प्रभाव दहला देनेवाला था। किन्तु अन्धाधुन्ध गिरफ्तारियोंके तरीके से लोगोंको जिस तरह तिल-तिलकर घुलाया गया, उसके शिकार केवल वे लोग ही नहीं हुए जिन्हें गिरफ्तार किया गया, बल्कि वे भी हुए जिन्हें बराबर गिरफ्तार होतेका भय बना रहता था, क्योंकि जैसा हमारे एकत्र किये बयानोंसे स्पष्ट है, इन गिरफ्तारियोंका कोई निश्चित तरीका नहीं था। हर वर्ग और हर स्तरके लोगोंके साथ यह व्यवहार हुआ। कोई अपनेको सुरक्षित नहीं समझता था। हम यह भी कहना चाहते हैं कि इस सम्बन्धमें गवाही इकट्ठी करने में हमने बहुत सावधानी बरती है। जब हमने यह जाँच शुरू की तो हमारे मनमें अविश्वास था, किन्तु जब एकके बाद एक बयान हमारे सामने आने लगा तो हम सामान्य आरोपपर विश्वास करने को विवश हो गये। सरकारको अधिकसे-अधिक चोट पहुँचानेवाले बयानोंकी इतनी पूरी तरहसे पुष्टि हुई है कि हमारा खयाल है वे जाँच करनेपर किसी भी अदालत में सही प्रमाणित होंगे।

हम यहाँ यह भी कह दें कि हमारे पास पुलिस द्वारा रिश्वत लिये जानेके प्रचुर प्रमाण थे। किन्तु हमने अमृतसरसे इस सम्बन्धमें गवाही नहीं ली, क्योंकि गवाहोंने हमें अपना विश्वास तो दिया, पर अपने नाम प्रकट करने को वे तैयार नहीं हुए। यदि सरकार इस कोटिके भ्रष्टाचारके सम्बन्धमें सचाई जानना चाहती है तो हमारा सुझाव है कि वह इस सम्बन्धमें जाँच करे और जो लोग गवाही देनेके लिए आगे आयें उन्हें सुरक्षाका आश्वासन दे। हमें विश्वास है कि सरकार इस श्रेणीके अपराधियोंको आड़ नहीं देना चाहती और हमें यह भी विश्वास है कि यदि वह हमारे सुझावके अनुसार कदम उठायेगी तो वह पुलिस विभागकी सबसे बड़ी खराबियोंको दूर कर डालेगी।