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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

मर ही गया। (बयान १३९)। मियाँ कमरुद्दीन खाँ जमींदार कहते हैं कि मौलवी गुलाम जीलानी अपनी रिहाईके फौरन बाद उन्हें मिले। उन्होंने वे घाव देखे, जो उन्हें लगे थे और जो वृतान्त उन्होंने तब सुनाया था वह बयान वैसा ही है जो उन्होंने हमारे सामने विया है। (बयान १४०)। गुलाम मोहम्मदने उन्हें तथा खैरदीनको यन्त्रणा पहुँचाई जाते देखा। वे कहते हैं कि खैरदीन कुछ दिन पूर्व घावोंसे मर गया। (बयान १३८) हाजी शमसुद्दीन जमींदारने भी मौलवी गुलाम जीलानी और स्वर्गीय खैरदीनको यन्त्रणा दी जाती देखी। हाजी साहबको पुलिसने तलब किया था। वे कहते हैं:

पुलिसवालोंने उनको गुदामे एक डंडा घुसेड़ा। वे दयनीय हालतमें थे। मैंने उनका मल-मूत्र निकलते देखा। पुलिसने हम सबसे, जो बाहर थे, कहा कि जो गवाही नहीं देंगे उन सबका यही हाल होगा। (बयान १३५)

गवाह १३६-३७ भी जीलानी और खैरदीनको दी गई यन्त्रणासे सम्बन्धित बयानकी पुष्टि करते हैं। पशमीना-विक्रेता मलिक अब्दुल हई, पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्टका तार मिलनेपर १५ मईके आसपास लाहौरसे अमृतसर गये। वहाँ उन्हें इन्स्पेक्टर जवाहरलालके सुपुर्द कर दिया गया। जवाहरलालने उन्हें इनाम और वेतनवृद्धिका प्रलोभन दिया, यदि वे डाक्टर किचलूके खिलाफ झूठी गवाही देने को तैयार हो जायें। जब उन्होंने इनकार किया तो उन्हें धमकी दी गई कि उन्हें भी अभियुक्तों में शामिल कर दिया जायेगा। जब सब धमकियाँ और सब समझाना-बुझाना बेकार गया तो उन्हें एक कमरे में ले जाकर "निर्दयतापूर्वक" पीटा गया। भयभीत होकर वे अन्त में झुक गये। उनका बयान लिख लिया गया और उन्हें फौजी अदालतमें तलब किया गया। वे आगे कहते हैं:

मैंने सब बात सच-सच कह देनेका निश्चय किया...मैंने जजोंको बताया कि मुझसे झूठी गवाही दिलवाने के लिए पुलिसने मुझे कितना परेशान किया। अपना बयान देकर में बाहर आ गया। नायब कोर्टने मुझे गिरफ्तार कर लिया और मुझे पुलिसके कमरेमें ले जाने ही वाला था कि मैं चीख उठा। इसपर कुछ बैरिस्टर जो इस मुकदमेके सम्बन्धमें अदालत में उपस्थित थे और जिनमें मुकन्दलाल पुरी, श्री हसन और दूसरे लोग थे, घटनास्थलपर आ गये। ...नायब कोर्टके चंगुलसे अपनेको छुड़ाकर मैंने जजोंको पूरी कहानी बताई। मुख्य न्यायाधीशने मुझे दूसरे रास्तेसे घर जानेकी आज्ञा दी। (बयान १४८)

बैरिस्टर श्री बदरुल इस्लाम अली खाँ को १९ अप्रैलको गिरफ्तार किया गया। पुलिसवाले उनकी स्त्रीके शयनकक्ष में घुस गये और जब उन्होंने उनसे बाहर जानेको कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया। खाँ साहबको कोतवाली ले जाया गया। वहाँ श्री प्लोमरने ऊँची आवाज में कहा, "यह है वह आदमी जो पंजाबका लेफ्टिनेंट गवर्नर बनना चाहता है।" उन्होंने अपने बयान में बताया है कि किस प्रकार झूठी गवाही देनेके लिए उनपर दबाव डाला गया। उन्होंने उस कोठरीका भी वर्णन किया है