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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

उन्हें छोड़ दिया गया। शर्त यह थी कि उन्हें प्रतिदिन कोतवाली में आकर हाजिरी देनी होगी। यह उन्होंने ९ जूनतक किया। फिर उन्हें लाहौर ले जाया गया। १६ जूनको उन्हें फौजी कानूनकी विशेष अदालतके सामने पेश किया गया, जहाँ उन्होंने सब बातें साफ-साफ बता दों और जजोंसे कह दिया कि उन्हें यन्त्रणा दी गई थी। (बयान २१)

एक १४ सालके लड़के ब्रजलालको ९ दिनतक हिरासत में रखा गया। दो दिन बाद उसे हंसराजके सुपुर्द कर दिया गया और फौजी कानूनकी विशेष अदालतके सामने एक झूठा बयान देने को राजी किया गया। उस बयानको उसने हमारे सामने दी गई अपनी गवाहीमें वापस ले लिया है। (बयान २२)

मद्य-विक्रेता सरदार आत्मासिंह, जनरल डायरके सामने १३ अप्रैलको गिरफ्तार किये गये। उन्हें जुलूसके साथ चलनेको मजबूर किया गया। वे कहते हैं: "उन्होंने मेरी बाँहको एक कपड़े से बाँध लिया और शहरकी कई गलियोंसे मुझे घसीटते हुए ले गये।" एक अंग्रेज सिपाहीने उन्हें पीने के लिए पानी लेनेसे रोक दिया। कुछ और लोग भी उस दिन गिरफ्तार किये गये और उनमें से ९ आदमियोंको हथकड़ियाँ डालकर बिना खाना दिये एक तंग कोठरी में बन्द रखा गया। १५ तारीखको वे जनरल डायरके सामने ले जाये गये और एक पेड़से बाँध दिये गये। फिर उनको "लगातार गालियाँ दी गईं और उनकी हँसी उड़ाई गईं।" जब जनरल डायर अपना दोपहरका भोजन कर चुके तो सरदार आत्मासिंहको उनके सामने पेश किया गया और उन्हें ८ दिनकी 'क्वार्टर-गार्ड' की सजा मिली। उन्हें यह नहीं बताया गया कि उनके विरुद्ध आरोप क्या है। कैदके दौरान एक सार्जेन्टने उनसे एक सोने की अंगूठी और एक वैस्ट एंड [कम्पनी] की शिकारी घड़ी, जिसपर उनका नाम लिखा था, उनसे छीन ली। (बयान ३०)

कसाई मुहम्मद इस्माइलको १८ अप्रैलके आसपास गिरफ्तार किया गया। उनके पिताको भी गिरफ्तार कर लिया गया। दोनोंको पीटा गया और तब छोड़ा गया जब उनके भाई दीनाको हाजिर किया गया। स्वयं दीनाको ३ दिनतक बन्द रखा गया और कहा जाता है कि उसे निर्दयतापूर्वक पीटा गया। (बयान ४६)

अब्दुल अजीज नामक सब्जी-विक्रेताको, एक खानसामाको गाली देनेके अपराध में, जिसे उन्होंने अस्वीकार किया, पकड़ा गया। उन्हें जनरल डायरके सामने ले जाया गया, दो दिनतक हवालात में बन्द रखा, दस कोड़े मारे गये और उनसे कहा गया कि १४ दिनतक अपनी दुकान बन्द रखे। (बयान १२३)

५८ सालके पेन्शनयाफ्ता सरकारी कर्मचारी लाला रलियारामसे एक सब- इंस्पेक्टरने उन लोगोंका नाम बतानेको कहा जिन्होंने कुमारी शेरवुडको पीटा था। उन्होंने उत्तर दिया कि उन्हें कुछ पता नहीं और वे घटनास्थलपर मौजूद नहीं थे। इसपर उन्हें बेंतसे पीटा गया, उनकी दाढ़ी खींची गई, उन्हें गलीमें इधर-उधर चलनेको मजबूर किया गया और शामको छोड़ दिया गया। (बयान १०७)

लाला दादूमलको पीटा गया और रेंगनेको विवश किया गया। उनको और उनके पुत्रको गिरफ्तार किया गया। फिर उन्हें छोड़ा गया और फिर पकड़ लिया