पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/२४२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन सबको एक जंजीरसे जोड़ दिया गया था। लाहोरमें उन्हें दिन-भर बिना भोजन या पानीके अदालतके बाहर बैठे रहना पड़ा। चिलचिलाती धूप में उन्हें लाहौर स्टेशनसे अदालततक और अदालतसे सेंट्रल जेलतक चलकर जाना पड़ा। श्री मोहम्मद अमीन और उनके भाईको २७ मईको छोड़ दिया गया। (बयान १४)

सब-असिस्टेंट सर्जन श्रीमती नेली बेंजामिन, श्रीमती ईस्डनकी मित्र हैं। उन्होंने ही उन्हें आड़में लेकर हमलेके समय बचाया था। वे कहती हैं:

जब यह जाँच चल रही थी तो मुझे दो बार कोतवाली ले जाया गया। मुझसे यह कहनेको कहा गया कि मैंने भीड़में मोहम्मद अमीनको देखा था। मैंने जब कहा कि यह सच नहीं है तो श्री प्लोमरने मुझे जेल भेजनेकी धमकी दी। मैंने उन्हें वह सब बताया जिसकी मुझे जानकारी थी पर मैंने झूठी गवाही देने से इनकार कर दिया। उन्होंने मुझे सरकारकी ओरसे इनाम दिलानेका भी प्रलोभन दिया यदि में श्रीमती ईस्डनवाली घटनाके सम्बन्धमें मोहम्मद अमीनकी उपस्थितिकी पुष्टि कर दूँ मैंने ऐसा करने से फिर इनकार कर दिया। (बयान १६)

काँचके बरतनोंके व्यापारी सेठ गुल मोहम्मदको २० अप्रैलको, जब वे नमाज पढ़ रहे थे, गिरफ्तार कर लिया गया और कोतवाली ले जाया गया। उनसे झूठी गवाही देने के लिए कहा गया। इन्सपेक्टर जवाहरलालने उनकी दाढ़ी पकड़कर उनके इतने जोरसे चाँटा मारा कि उन्हें थोड़ी देरके लिए चक्कर आ गया। उसने तब उन्हें यह बयान देने को कहा कि "डाक्टर सत्यपाल और डा० किचलूने मुझे उकसाया कि मैं ६ तारीखको हड़ताल करवा दूँ। उन्होंने मुझे यह कहकर भी उत्साहित किया कि वे अंग्रेजोंको देशसे बाहर निकालने के लिए बमोंका उपयोग करेंगे।" गवाहने ऐसा कहने से इनकार कर दिया। इसपर अफसरने अपने मातहतोंसे कहा कि उनको अलग ले जाकर दुरुस्त कर दें। फिर उन्हें वहाँसे कुछ कदम दूर ले जाया गया और कई सिपाहियोंने उनसे कहा कि जो-कुछ जवाहरलाल चाहता है, वह करें और उसे खुश करें। उन्होंने फिर भी इनकार कर दिया। इसपर उन्होंने उनकी एक बाँह पकड़ी और एक चारपाईके पायेके नीचे दबाया, जिसपर आठ पुलिसवाले बैठ गये। "जब दर्द असह्य हो गया", गवाह कहता है, "तो में चिल्लाया, मेरा हाथ छोड़ दो, मैं जो कुछ तुम चाहोगे करूंगा।" इसके बाद उन्हें फिर जवाहरलालके पास ले जाया गया। लेकिन उन्होंने फिर डाक्टरोंको फँसाने से इनकार कर दिया। इसपर उन्हें दिन-भर एक कमरेमें बन्द रखा गया। बादके दिनों में उन्हें पीटा गया, चाँटे और बेंत मारे गये, उनसे कहा गया कि उन्हें अभियुक्त बनाया जायेगा और फाँसीपर लटका दिया जायेगा। यह पिटाई आठ दिनोंतक चलती रही। आठवें दिन वे फिर इच्छित वक्तव्य देने को राजी हो गये। उन्हें मजिस्ट्रेट आगा इब्राहीमके सामने पेश किया गया, जहाँ उन्होंने वह "असत्य बयान" दुहराया, जो उनसे माँगा गया था। मुखबिर हंसराजने, जो कोतवाली में था, उनको सलाह दी कि जैसा पुलिस चाहती है वैसा करें। दस दिनकी हवालातके बाद