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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

को देखा ही नहीं, मैं उनके नाम नहीं ले सकता । आप लोग जो जीमें आये करें।" इसपर सरदार सूखासिंहने उनसे कहा कि उनके पास उनकी गिरफ्तारीका हुक्म है और वे अपनेको हिरासत में समझें। उन्हें हुक्म दिखाया नहीं गया और उनके सहायक सहित उन्हें हवालातमें भेज दिया गया। दोनोंको २७ अप्रैलतक हवालात में रखा गया और फिर वहाँसे हटाकर छोटी जेलमें ले जाया गया। छोटी जेलमें जानेके लिए एक मील पैदल चलना था। और चूँकि उन्हें हृदरोग था, उन्होंने सवारीके लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि हथकड़ियाँ पहनाकर औरोंके साथ बाजारमें फिराने में उन्हें सदमा लगेगा। फिर भी उन्हें ६२ अन्य कैदियोंके साथ पैदल चलकर जल पहुँचने के लिए मजबूर किया गया। वे कहते हैं:

चूँकि गरमी बहुत थी, जेल पहुँचनेपर मुझे गश आ गया, पर मैं एक दयालु पुलिसवालेकी कृपासे जल्दी ही होशमें आ गया, जिसने मुझे पीनेके लिए पानी दिया।

उन्हें एक तंग कोठरीमें बन्द कर दिया गया और रोटी दी गई, जिसे वे खा नहीं सके। एक मित्रने प्रार्थना की कि उसे उनके लिए बाहरसे खाना भेजने दिया जाये। उसे अस्वीकार कर दिया गया। यह प्रार्थना भी अस्वीकार कर दी गई कि उन्हें वे कपड़े बदलने दिये जायें, "जो बदबूदार थे और जूँओंसे भरे थे। २ मईको डिप्टी कमिश्नर जेल गये और डाक्टर भंडारीने उनसे पूछा कि उन्हें क्यों नजरबन्द किया गया है। उत्तर मिला कि उनके विरुद्ध इसके सिवा कोई आरोप नहीं है कि जब भीड़ने श्रीमती ईस्डनपर आक्रमण किया तो उन्होंने उनके प्राण बचाने का कोई प्रयत्न नहीं किया। डाक्टरने समझाना चाहा कि ऐसा कर सकना उनके लिए सम्भव नहीं था, क्योंकि जब भीड़ वहाँ गई तो उन्हें इसका पता नहीं था। पर यह बेकार सिद्ध हुआ। खैर, वे और उनका सहायक १२ मईको छोड़ दिये गये। उन्हें यह नहीं बताया गया कि आखिर उनके विरुद्ध आरोप था क्या। २० अप्रैलसे २७ अप्रैलतक जब वे कोतवाली हवालातमें थे तो एक आदमी दो बार उनके पास गया, और उसने उनसे कहा :

आप नाहक तकलीफ भुगत रहे हैं। अगर आप भीड़में से दो-चार आदमियोंके नाम बता दें तो आपको तुरन्त छोड़ दिया जायेगा। (बयान १३)

वकील श्री मुहम्मद अमीन, मुहम्मद अकरमके पिता हैं। श्रीमती ईस्डनपर आक्रमण करनेके सम्बन्धमें मुहम्मद अकरमको मृत्युदंड दिया गया था। बादमें यह सजा कम करके ५ वर्षकी सख्त कैद कर दी गई थी। श्री मुहम्मद अमीन कहते हैं। कि उनकी श्रीमती ईस्डनसे व्यक्तिगत मित्रता है, और अपने बयान में, जो इसके साथ नत्थी है, वे कहते हैं कि उनका पुत्र, जो श्रीमती ईस्डनको मातातुल्य मानता है, बिल्कुल निर्दोष है। २० अप्रैलको वे अपने पुत्र और भाईके साथ गिरफ्तार कर लिये गये और कोतवाली ले जाये गये। वे कहते हैं:

एक सिपाही मुझे हवालातके दरवाजेतक ले गया। वह एक तंग कोठरी थी, पर इसमें कमसे-कम ३० बदकिस्मत लोग बन्द थे। मैंने बड़ा ही भयानक