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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ले जाया गया, उस समय उसके सारे शरीरसे खून बह रहा था और वह बिलकुल बेहोश था।

दूसरे लड़कोंके साथ भी यही व्यवहार हुआ और जब उनपर कोड़े पड़ रहे थे तब उनमें से अधिकतर बेहोश हो गये।

उन सबके हथकड़ियाँ डाल दी गई और चूँकि वे खुद दो कदम भी चल सकनमें असमर्थ थे, पुलिस उन्हें घसीटकर ले गई। उन्हें किलेमें ले जाया गया। (बयान ११५, ११७ और ११८)

जनरल डायरने अपनी गवाही में कहा है कि वकील सिपाहियोंने उपयोगी काम किया और श्री किचिनने कहा है कि वकील लोगोंने यह काम पसन्द किया। आइए देखें कि वकील लोग खुद इस प्रकार पुलिस सिपाही नियुक्त किये जानेके बारे में और जो काम उन्हें करना पड़ा उसके बारेमें क्या कहते हैं। हम लाला कन्हैयालालका पहले ही जिक्र कर चुके हैं। वे अमृतसरके सबसे पुराने वकील हैं। वे भी इस सम्मानसे बच नहीं सके। वे कहते हैं:

मैं आगे यह भी कह दूँ कि शहरके दूसरे सब वकीलोंके साथ-साथ मुझे भी विशेष सिपाही बननेको बाध्य किया गया। यह नियुक्ति २२ अप्रैलको हुई, जबकि शहरमें शान्ति सुव्यवस्था कायम रखने के लिए इस तरहकी नियुक्तिको जरा भी आवश्यकता नहीं थी। इसके लिए पुलिसके सिपाही ही पर्याप्त थे, और सचमुच शहरमें उन दिनों शांति थी। इस बुढ़ापेमें मुझे एक कुलीकी तरह काम करना पड़ा--कुर्सियाँ और मेजें उठाकर एक जगहसे दूसरी जगह ले जानी पड़ीं और सख्त धूपमें शहरको गश्त लगानी पड़ी। और जिस तरह हमें दुर्वचन कहे गये और जलील किया गया, उससे हमारी यातना और भी बढ़ गई। में यह नहीं मान सकता कि शहरमें शान्ति सुव्यवस्था कायम रखने के लिए हमें पुलिस सिपाहियोंके रूपमें नियुक्त करना आवश्यक था। यह दरअसल हमें दण्ड देनेके लिए किया गया था। शहरका वकील-मण्डल सार्वजनिक कार्योंमें भाग लेता है और रौलट कानूनके विरुद्ध जो आन्दोलन हुआ उसमें भी उसने प्रमुख रूपसे भाग लिया था। इसीलिए सभी वकीलोंको इस प्रकार दण्डित किया गया। (बयान २९)

उच्च न्यायालयके वकील और नगरपालिकाके सदस्य लाला बालमुकंद भाटिया विशेष सिपाहियोंकी नियुक्तिकी रस्मका विवरण देते हुए कहते हैं:

हम लोगोंको जमीनपर बिठाया गया और फिर हमारे सामने दो नागरिकों को टिकटिकीसे बाँधकर कोड़े लगाये गये। यह दृश्य देखनेको हमें विशेष रूपसे आज्ञा हुई। शामको सभी वकीलोंको एक पंक्तिमें खड़ा किया गया।

इन लोगोंको लेफ्टिनेन्ट न्यूमैनके अधीन रख दिया गया। उन्होंने इनमें से एक वकीलको ठोकर मारने की धमकी दी। उन सबको आज्ञा दी गई है कि वे दिनमें तीन बार उनके सामने हाजिरी दें, और बाकी दिन शहरमें गश्त लगायें।