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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

जनरल डायरको। उन्हें हाथके इशारेसे बुलाया गया। लाला हरगोपालने जाकर फौजी ढंगसे सलाम किया। इसपर उनसे कहा गया कि उन्हें सलाम करना नहीं आता और आज्ञा दी गई कि वे दूसरे दिन रामबागमें हाजिर हों। उन्होंने जनरल डायरको सलाम करके उनसे बिदा ली और शहरमें पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्ट श्री प्लोमरसे पूछा कि रामबागमें वे किस जगह हाजिर हों। श्री प्लोमरने तुरन्त एक सिपाहीको आज्ञा दी कि उन्हें कोतवाल साहबके पास ले जाये। वहाँ पहुँचनेपर उन्हें २-३ और व्यक्तियोंके साथ गीले फर्शपर बिठाया गया। ७ बजे शामतक उनके साथ कुछ और भी आदमी हो गये। कोतवाली में उन्हें खुले आसमानके नीचे बैठकर या लेटकर रात बितानी पड़ी। उनके ऊपर गुरखा सन्तरियोंका पहरा बिठा दिया गया। दूसरे दिन सुबह साढ़े आठ बजे उन्हें रामबाग ले जाया गया। वहाँ उन्हें तबतक धूपमें खड़ा रखा गया जबतक फौजके एक हवालदारने उन्हें सलाम करना नहीं सिखा दिया। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया। (बयान ९५ या ९६)

एक अवैतनिक मजिस्ट्रेट मियाँ फीरोजदीन कहते हैं:

जनरल डायर और श्री प्लोमरको सलाम करते समय खड़े न होनेके अपराधमें लोगोंको कोड़ोंसे पीटा जाता था। जो लोग सलाम नहीं करते थे उन्हें कभी-कभी गिरफ्तार कर लिया जाता था। इस तरह लोगोंको कोड़ोंकी सजा देते और गिरफ्तार करते में कई बार अपनी आँखोंसे देख चुका हूँ। लोग इतने आतंकित हो गये थे कि बहुतसे तो सामान्यतः दिन-भर खड़े रहते थे ताकि उनसे कोई भूल न हो जाये। और उन्हें इस तरहका दण्ड न भुगतना पड़े। मैंने "सामान्यतः" कहा है क्योंकि वे जहाँ किसी मोटरकी आवाज सुनते थे कि उठ खड़े होते थे। मैंने स्वयं यह किया। (बयान २)

कोड़ोंकी सजा, जहाँतक वह सार्वजनिक रूपसे दी जाती थी, न सिर्फ जलालतभरी थी, बल्कि यातनापूर्ण भी थी और जो-कुछ सरकारी गवाहीमें कहा गया है उसके अलावा यह विचार कर सकना कठिन है कि आखिर कोड़ोंकी सजा दी क्यों गई। सरकारी गवाहीके अनुसार कोड़ोंकी सजा तथाकथित "सैनिक अनुशासन" को भंग करनेके लिए दी जाती थी, और जहाँतक उन लोगोंका सम्बन्ध है जिन्होंने कुमारी शेरवुडको पीटा था, जनरल डायरने स्वीकार किया है कि उनका इरादा रेंगनेवाली गलीमें उनपर कोड़े लगाना था। इस तरह ६ लड़कोंको चौखटपर कोड़े लगाये गये। चौखट नक्शेमें[१] निशान लगाकर दिखाई गई है। प्रत्येकको टिकटिकी (तिकोना ढाँचा) पर बाँधा गया और ३०-३० कोड़े मारे गये। उनमें से एक, सुन्दरसिंह

चार कोड़े पड़ते ही बेहोश हो गया पर एक सिपाहीने उसके मुँहमें कुछ पानी डाला और उसे होश आ गया। उसपर कोड़े फिर पड़ने लगे। वह फिर बेहोश हो गया, किन्तु उसे पूरे तीस कोड़े लगाकर ही छोड़ा गया। जब उसे वहाँसे

  1. देखिए पृष्ठ १९३ के सामनेवाला चित्र।