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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इस तरह जान-बूझकर इतना दुष्टतापूर्ण दण्ड देनेका दूसरा उदाहरण मुश्किलसे ही मिलेगा। कुमारी शेरवुडपर १० अप्रैलको आक्रमण हुआ था और आदेश १९ तारीखको जारी किया गया। इसका पालन उन लोगोंको भी करना था जिन्होंने कुमारी शेरवुडको शायद कभी देखा भी नहीं होगा। हो सकता है, उन्होंने कुमारी शेरवुडपर किये गये इस कायरतापूर्ण हमलेकी निन्दा भी की हो, और मैं समझता हूँ अमृतसरके अधिकांश लोगोंने अवश्य ही ऐसा किया होगा। किन्तु ऐसे ही लोगोंको इस दण्डका भागी होना पड़ा। जो आदमी दण्डके ऐसे नित नये तरीके ढूंढ़ता रहता है और फिर लोगोंको ऐसे दण्ड देने में मजा लेता है, उसकी मनोवृत्तिको क्या कहा जाये? सन्तरी सुबह ६ बजेसे रातको ८ बजेतक तैनात रहते थे। इसलिए जब लॉर्ड हंटरने पूछा कि ऐसा आदेश जारी करनेकी क्या आवश्यकता थी जिसका उद्देश्य विधिवत् निवास करनेवाले नागरिकोंको चारों हाथ-पैरोंसे चलनेके लिए मजबूर करना था, तो जनरल डायरने उत्तर दिया: "वे इसके अतिरिक्त और किसी भी समय आ-जा सकते थे", यानी रातको १० बजेके बादसे सुबह ६ बजेतक। (१५ तारीखको समय ८ बजे शामसे बदलकर १० बजेतक कर दिया गया था।) जनरल डायर भूल गये कि एक दूसरा आदेश इसके विरुद्ध पड़ता था, क्योंकि रात १० बजेके बाद कोई घरसे नहीं निकल सकता था और यदि कोई निकलता तो उसे गोली मारी जा सकती थी। फिर भी वे उसी उत्तरमें आगे यह भी कह गये:

मैं नहीं समझता कि इससे लोगोंको कोई बहुत असुविधा हुई। यदि उन्हें थोड़ी-सी तकलीफ उठानी भी पड़ी तो सैनिक कानूनके अनुसार इसमें कोई हानि नहीं है। वे जीवनके लिए आवश्यक चीजें अन्य साधनोंसे प्राप्त कर सकते थे। यदि उन्हें थोड़ोसी दिक्कत उठानी पड़ी तो उसमें कुछ किया नहीं जा सकता था।

लॉर्ड हंटरने कहा:

आप यह तो मानेंगे कि अशान्तिके दिनोंमें शान्तिप्रिय नागरिकोंके लिए उपद्रव रोकने में सहायता देना कठिन हो जाता है। इसलिए यह उचित नहीं है कि इस तरहका दण्ड केवल उपद्रवी भीड़के लिए रखा जाये और कानूनपर चलनेवाले नागरिकोंको उससे अलग रखा जाये?

जनरल डायरने उत्तर दिया:

जी हाँ, वे कानूनपर चलनेवाले नागरिक थे, पर मैंने उस समय केवल दुष्टोंको दण्ड देनेकी बात ही सोची थी।

प्र०--किन्तु इस गलीमें उन लोगोंका बहुत आना-जाना नहीं था, जिन्होंने कुमारी शेरवुडको पीटा था?

उ०--नहीं, पर मैंने वहाँ गलीके बीचमें एक मंच खड़ा कर दिया था और मेरा इरादा था कि जब वे लोग मिल जायेंगे जिन्होंने कुमारी शेरवुडको पीटा था तो में उन्हें कोड़े लगाऊँगा। उनको कोड़ोंसे मारनेका मेरा पक्का इरादा था।