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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अगर शान्ति रखनी है तो मेरा आदेश है कि तुरन्त सब दुकानें खोल दी जायें। आप लोग सरकारकी बुराई करते हैं और जर्मनी और बंगालमें पढ़े लोग राजद्रोहकी बातें करते हैं। मैं इन सबकी रिपोर्ट भेजूँगा। आदेशोंका पालन कीजिए। इसके अलावा और कोई चीज मुझे मंजूर नहीं। मैंने तीस सालसे अधिक समयतक सेनामें नौकरी की है। मैं हिन्दुस्तानी सिपाहियों और सिख लोगोंको भली-भाँति समझता हूँ। आपको शान्ति रखनी होगी अन्यथा बलपूर्वक राइफलोंके जरिये दुकानें खुलवाई जायेंगी। आप मुझे बदमाशोंके बारेमें खबर कीजिए। मैं उन्हें गोलीसे उड़ा दूँगा। मेरे आदेशोंका पालन कीजिए, और दुकानें खोल दीजिए। यदि आप युद्ध चाहते हैं तो वैसा कहिए।

जनरल डायरके बाद डिप्टी कमिश्नर श्री माइल्स इर्विगने भाषण दिया। हम उनके भाषणमें से दो वाक्य प्रस्तुत करते हैं:

आप लोगोंने अंग्रेजोंको मारकर बुरा काम किया, इसका बदला आप लोगों से और आपके बच्चोंसे लिया जायेगा।

१५ तारीखको सभी दुकानें खोल दी गई। १३ तारीखकी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई, १४ तारीखके भाषण और फिर दुकानोंका खुल जाना--इस सबके बाद तो कोई भी यही सोचता कि साधारण असैनिक शासन फिर शुरू हो जायेगा। किन्तु यह नहीं होनेको था। पूरा बदला अभी नहीं लिया गया था। और इसलिए सैनिक कानून- की घोषणा[१] कर दी गई, और अबतक जो चीज तथ्य रूपमें मौजूद थी, उसपर कानूनकी मोहर लग कई। सैनिक कानून ९ जूनतक चालू रहा और अमृतसरके लोगोंकी जिन्दगी तरह-तरहसे दुश्वार बना दी गई:

१. जिस सड़कपर कुमारी शेरवुडपर आक्रमण हुआ था वह लोगोंपर कोड़े लगानेके लिए नियत कर दी गई, और आने-जानेवालोंको मजबूर किया गया कि वे वहाँसे पेटके बल रेंगते हुए गुजरें।

२. सबको मजबूर किया गया कि वे सलाम करें--कहने को केवल अंग्रेज अफसरों को, किन्तु वास्तवमें सभी अंग्रेजोंको। ऐसा न करनेपर गिरफ्तार करने और जलील करने की धमकी दी गई।

३. छोटी-छोटी बातोंके लिए भी कोड़े लगते थे--सार्वजनिक रूपसे भी तथा और तरहसे भी।

४. शहरके सब वकीलोंको बिना वजह विशेष पुलिस-सिपाही बना दिया गया और उनसे साधारण कुलियोंकी भाँति काम कराया गया ।

५. किसीके दरजे-रुतबेका खयाल किये बिना लोगोंकी अन्धाधुन्ध गिरफ्तारियाँ की गई। और नजरबन्दीके दौरान उनसे अपराधकी स्वीकृति या गवाही लेनेके लिए या सिर्फ उन्हें जलील करने के लिए उनकी बेइज्जती की गई, उन्हें तकलीफें और अवर्णनीय यन्त्रणाएँ दी गई।

  1. १५ अप्रैलको।