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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

समर्थन किया। सैनिक कानूनके अन्तर्गत भी--चाहे वह तथ्यगत हो या विधिवत्--सैनिक कमांडर शालीनताके कुछ नियमोंसे बँधे होते हैं। हम निवेदन करना चाहते हैं कि जनरल डायरने इन नियमोंकी पूर्ण रूपसे अवहेलना कर दी। हम फिर यह कह दें कि हम किसी भी रूप में अंग्रेजोंकी हत्या या आगजनीका न तो समर्थन करना चाहते हैं और न उसको कम करके बताना चाहते हैं। हमारा विश्वास है कि उनके लिए कोई सफाई नहीं दी जा सकती। किन्तु एक क्रुद्ध भीड़के किसी भी कृत्यके आधारपर चाहे वह कितना ही जघन्य हो, निर्दोष जनताके उस कलको उचित नहीं ठहराया जा सकता जिसके लिए जनरल डायर दोषी हैं।

चौदह अप्रैलका दिन जनताने मृतकों और घायलोंको उठाने में और मृतकोंको जलाने या दफनाने में बिताया। इसके लिए अधिकारियोंकी इजाजत लेना आवश्यक था, और जो संक्षिप्त-सा फरमान जारी किया गया वह इस प्रकार था:

सर्वसाधारण जब भी चाहे, अपने मृतकोंको जला या दफना सकता है। किसी भी प्रकार कोई प्रदर्शन न हो।

लॉर्ड हंटरने १४ तारीखको शहरकी हालतके बारेमें प्रश्न किये, जनरल डायरने उत्तर दिया:

मैं यह देखनेके लिए शहरमें घूमा कि मेरे आदेशका पालन हुआ है या नहीं।

मैं उन स्थानोंमें भी गया जहाँ सैनिक तैनात थे । सब-कुछ शान्त था।

२ बजेके लगभग नागरिकों, नगरपालिकाके सदस्यों, मजिस्ट्रेटों और व्यापारियोंकी एक बैठक कोतवाली में बुलाई गई जिसमें कमिश्नरने निम्नलिखित भाषण दिया:

आप लोग शान्ति चाहते हैं या युद्ध? हम हर तरह तैयार हैं। सरकारके पास सब शक्ति है। सरकारने जर्मनीको जीत लिया है और वह सब-कुछ कर सकती है, जनरल डायर आज आदेश जारी करेंगे। शहर उनके नियन्त्रणमें है, मैं कुछ नहीं कर सकता। आप लोगों को उनके आदेशोंका पालन करना पड़ेगा। (बयान १, पृष्ठ ११)

इसके बाद कमिश्नर श्री किचिन चले गये। जनरल डायर सर्वश्री माइल्स इविंग, रिहिल, प्लोमर और सैनिक अंगरक्षकोंके साथ ५ बजेके लगभग आये। वे तेजीसे कमरेमें घुसे और उनके पीछे-पीछे दूसरे लोग भी। सब लोग अत्यन्त क्रुद्ध थे। जनरलने उर्दूमें एक भाषण दिया। उसका अनुवाद नीचे दिया जा रहा है:

आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि मैं एक सिपाही और सैनिक हूँ। आप लोग युद्ध चाहते हैं या शान्ति? अगर आप लोग युद्ध चाहते हैं तो सरकार उसके लिए तैयार है; यदि आप शान्ति चाहते हैं तो मेरे आदेशपर चलिए और अपनी दुकानें खोल दीजिए, अन्यथा मैं गोलियाँ चलाऊँगा। मेरे लिए जैसा फ्रांसका मोरचा वैसा अमृतसरका। मैं सैनिक हूँ और सीधी कार्रवाई करूँगा। न मैं दाई ओर जाऊँगा, न दाई ओर। यदि आप युद्ध चाहते हैं तो साफ कहिए।