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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

परामर्श ले लें, जो शहरमें अमन बनाये रखने के लिए जिम्मेदार असैनिक अधिकारी थे?

उ०-इस समय कोई डिप्टी कमिश्नर नहीं था, जिससे मैं परामर्श करता। मैंने यह ठीक नहीं समझा कि इससे आगे और किसीसे सलाह लूँ। मुझे एकदम यह निर्णय करना पड़ा कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं सैनिक दृष्टिसे इस निर्णयपर पहुँचा कि मुझे तुरन्त गोली चलानी चाहिए और मेरे लिए यह न करना अपने कर्त्तव्यसे डिगना होगा।...

प्र०-क्या गोली चलानेमें आपका उद्देश्य भीड़को तितर-बितर करना था?

नहीं जनाब, मेरा इरादा था कि तबतक गोली चलाता रहूँ जबतक वे तितर-बितर न हो जायें।

प्र०-क्या आपके गोली चलाते ही भीड़ तितर-बितर होने लगी थी? तुरन्त।

प्र०- क्या आपने गोली चलाना जारी रखा?

उ०- जी हाँ।

प्र०-जब भीड़ने यह प्रकट कर दिया था कि वह तितर-बितर हो जायेगी तो आपने गोली चलाना बन्द क्यों नहीं किया ? मैंने सोचा कि मेरा यह कर्तव्य है कि तबतक गोली चलाता रहूँ जबतक वह बिलकुल छँट न जाये। यदि में कम गोली चलाता तो फिर तो मेरा गोली चलाना ही गलत होता।

फिर कई प्रश्नोंके उत्तरमें जनरल डायरने बताया कि वे लगभग १० मिनटतक गोली चलाते रहे; कि उन्हें "भीड़को तितर-बितर करनेके इस प्रकारके तरीकोंका कोई सैनिक अनुभव" नहीं था; कि "शायद बिना गोली चलाये भी वे भीड़को तितरकर सकते थे। किन्तु उन्होंने गोली चलाई क्योंकि "वे सब फिर वापस आ जाते और उनपर हँसते और उनकी स्थिति हास्यास्पद हो जाती।" एक अन्य प्रश्नके उत्तरमें उन्होंने गोली चलाने के लिए निम्नलिखित कारण प्रस्तुत किये:

मुझे लगा कि वे मुझपर और मेरे सैनिकोंपर एकाएक हमला करना चाहते हैं। इस सबसे यह जाहिर था कि यह एक व्यापक आन्दोलन था और केवल अमृतसरतक ही सीमित नहीं था, और वहाँकी स्थिति एक व्यापक सैनिक कार्रवाईकी स्थिति थी जो केवल अमृतसरतक ही सीमित नहीं थी।

जनरल डायरने १६५० गोलियाँ चलाई थीं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यदि वे बख्तरबन्द गाड़ियोंको बागके अन्दर ले जा सकते तो अवश्य ऐसा करते और उनसे गोलियाँ चलवाते; उन्होंने गोली चलाना इसलिए बन्द किया कि कारतूस खत्म हो गये थे और भीड़ बहुत धनी थी। उन्होंने घायलोंकी प्राथमिक चिकित्सा या उन्हें ले जानेकी कोई व्यवस्था नहीं की थी। उनके विचारसे, उस समय घायलोंकी

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