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सम्पूण गांधी वाङ्मय

लोग शिशुओंको गोदमें लेकर आये थे। लोगोंके पास लाठियाँ आदि नहीं थीं। खुफिया पुलिसके भी कुछ लोग सभामें मौजूद थे। उनमें से दो व्यक्तियोंको हंसराजसे बातें करते देखा गया। आयताकार स्थानके किनारे ऊँची भूमिपर जनरल डायरने २५ सैनिक दाई ओर और २५ सैनिक बाई ओर तैनात कर दिये। इसके बाद जो-कुछ हुआ, उसे उन्हीं के शब्दोंमें देना ठीक है:

प्र०-जब आप बागमें पहुँचे तो आपने क्या किया?

उ०- मैंने गोली चलाई।

प्र०- एकदम?

उ०- तत्काल! मैंने इस विषय में विचार कर लिया था और मेरा खयाल है कि यह निश्चय करने में मुझे ३० सेकिण्डसे अधिक नहीं लगे कि मेरा क्या कर्तव्य है।

प्र०-जहाँतक भीड़का सम्बन्ध है, वह क्या कर रही थी?

उ०-बस, वे लोग सभा कर रहे थे, बीचमें एक ऊँची-सी चीजपर एक व्यक्ति खड़ा था। उसके हाथ हिल रहे थे। स्पष्ट ही वह भाषण दे रहा था। जहाँतक मैं अनुमान कर पाया, वह आयतके ठीक बीचमें था, कहना चाहिए कि जहाँ मेरे सैनिक तैनात थे वहाँसे लगभग ५० या ६० गज दूर।

जनरलने यह स्वीकार किया था कि ऐसे बहुतसे लोग हो सकते थे, जिन्होंने घोषणाके बारेमें कुछ न सुना हो। अतः लॉर्ड हंटरने प्रश्न किया:

यह सम्भावना स्वीकार करनेपर कि भीड़में ऐसे लोग हो सकते थे जिन्हें घोषणाकी जानकारी नहीं थी, क्या आपको यह नहीं सूझा कि गोली चलानेकी आज्ञा देनेसे पहले भीड़को तितर-बितर हो जाने के लिए कहना उचित होगा?

उ०-नहीं, उस समय मुझे यह नहीं सूझा। मुझे केवल यह महसूस हुआ कि मेरी आज्ञाका उल्लंघन हुआ है, फौजी कानूनकी अवहेलना हुई है और मेरा कर्तव्य है कि में तुरन्त राइफलों द्वारा गोली चलाऊँ।

प्र०-जब आपने भीड़को तितर-बितर किया, क्या उससे पूर्व भीड़ने किसी भी प्रकारकी कोई कार्रवाई की थी?

उ०-नहीं जनाब, वे भाग गये थे--उनमें से कुछ लोग।

प्र०-क्या वे भागने लगे?

उ०-हाँ, जब मैंने गोलियाँ चलाना शुरू किया तो मध्य भागमें जो बड़ी भीड़ थी वह दाहिनी ओरको भागने लगी।

प्र०-फौजी कानूनका ऐलान तो किया नहीं गया था। इसलिए आपने जब यह कदम उठाया, और जो एक अत्यन्त गम्भीर कदम था, तो क्या उससे पहले आपने यह उचित नहीं समझा कि इस सम्बन्ध डिप्टी कमिश्नरसे।