पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/२२०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होनेपर" का अर्थ यही हो सकता है कि 'यदि यह जमघट और किसी प्रकार तितर-बितर न हो तो', और "जमघट" का अर्थ हो सकता है किसी 'सार्वजनिक स्थलपर जमघट'; अन्यथा घरोंमें भी चारसे अधिक व्यक्तियोंका जमा हो जाना घोषणाके अनुसार गैरकानूनी जमघट हो जायेगा।

जनरल डायर ज्यों-ज्यों शहर में आगे बढ़ते गये, थोड़ी-थोड़ी देर बाद एक दुभाषिया इस घोषणाको पंजाबी और उर्दू में पढ़ता गया। शहरसे गुजरनेमें जनरल डायरको उन्हींके कथनानुसार "२-३ घंटे" लगे। लोगोंको जमा करनेके लिए डोंडी पीटी जाती थी। [जनरल डायर] को एक नक्शा दिया गया, जिसमें उन स्थानोंपर निशान लगे थे जहाँ घोषणा पढ़ी गई थी, और उन्होंने स्वीकार किया कि शहरके कई भागोंमें वह नहीं पढ़ी गई थी। हमने उस नक्शेका जिसपर रास्ते चिह्नित है, अध्ययन किया है। शहरका आधेसे अधिक भाग, और वह भी सबसे अधिक आबादीवाला भाग, जनरलने अछूता ही छोड़ दिया था। इस बातके प्रचुर प्रमाण उपलब्ध है कि बहुत कम नागरिकोंको इस घोषणाके बारेमें मालूम था। इसके अलावा, जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है, १३ अप्रैल बैसाखीका दिन था। यह हिन्दुओंका नववर्षका दिन है और आस-पासके गाँवोंसे लोग बहुत बड़ी संख्यामें शहरमें आ रहे थे, जिन्हें घोषणाके बारेमें कुछ भी मालूम नहीं था। सरकारी गवाहोंने इस बातको स्वीकार किया है कि इस प्रकारके लोग आये और उन्होंने घोषणा नहीं सुनी होगी।

जिस समय यह घोषणा हो रही थी, उसी समय या कुछ आगे-पीछे एक लड़का अमृतसरकी गलियोंमें एक कनस्तर बजा कर ऐलान कर रहा था कि ४ बजे जलियाँवाला बागमें एक सभा होगी और लाला कन्हैयालाल इसका सभापतित्व करेंगे। इस बारेमें शंका हो सकती है कि लड़केने यह ऐलान ठीक-ठीक किस समय किया, लेकिन हमारे सामने जो साक्ष्य हैं, उनके अनुसार यह ऐलान जनरल डायरकी घोषणासे कुछ समय पहले किया गया था। लाला कन्हैयालाल कहते हैं:

मैंने सुना कि कुछ लोगोंने (जिनका पता जहाँतक मुझे मालूम है अबतक नहीं लगा है) १३ अप्रैलको यह ऐलान किया कि मैं जलियाँवाला बागमें एक भाषण दूँगा। इससे लोगोंका यह खयाल बना कि मैं तत्कालीन स्थितिके बारेमें उन्हें कोई ठीक सलाह दूँगा। (बयान २९, पृष्ठ ७३)

करीब १२ बजकर ४५ मिनटपर जनरल डायरको सूचना दी गई कि उसी दिन अपराह्नमें ४ बजकर ३० मिनटपर जलियाँवाला बागमें एक बड़ी सभा होनेवाली है। जनरल डायर स्वीकार करते हैं कि सभाको रोकनेके लिए उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। "मैं चाहता हूँ, आप यह बतायें", लॉर्ड हंटरने कहा, "कि आपने जलियाँवाला बागमें भीड़ जमा होनेसे रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया?" जनरलने उत्तर दिया:

मैं जितनी जल्दी हो सकता था वहाँ गया। मुझे अपने सैनिकोंको संगठित करना था, स्थितिपर विचार करना था... मैंने सोचा, मैंने उन्हें सावधान कर दिया था कि वे जमा न हों और यह काफी था।