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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लोग मृतकों और घायलोंको उठाये हुए रेलवे-फुट-ब्रिजकी ओर गये, और कुछ लोग हॉल बाजारकी ओर गये। घायलों और मृतकोंको देखनेवाले नागरिक क्रोधसे भर गये। थोड़े ही समयके भीतर रेलवेके ओवर-ब्रिज और फुट-ब्रिजके पास फिर एक भीड़ जमा हो गई। इस बार लोगोंके हाथमें डंडे और लकड़ीके चले थे। दोनों ही पुलोंपर सेनाका पहरा था।

इसी बीच, यह शोर-गुल सुनकर वकील लोगोंने डिप्टी कमिश्नरके सामने बीच-बचाव करनेके खयालसे अपनी सेवाएँ अर्पित करनेकी इच्छा प्रकट की थी। उन्हें बीच-बचाव करनेकी अनुमति दे दी गई। जब वे घटना स्थलपर पहुँचे तो अमृतसरके पुलिस डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट श्री प्लोमरने उन्हें बताया कि एक बहुत बड़ी भीड़ रेलवे यार्डकी ओर गई है। अतः कुछ लोग पुलपर ही ठहरे रहे और कुछ लोग रेलवे यार्डकी ओर गये। भीड़को समझा-बुझकर रेलवे यार्डसे हटाने में वे सफल रहे। किन्तु ओवर-बिजके पास स्थिति ज्यादा कठिन थी। सर्वश्री सलारिया और मकबूल महमूद एक ओर तो भीड़को समझाने की कोशिश कर रहे थे, और दूसरी ओर अधिकारियोंको गोली चलानेसे रोकने की कोशिश कर रहे थे। एक स्थिति तो ऐसी आई जब लगा कि उन्हें सफलता मिल जायेगी, लेकिन उसी वक्त भीड़में से कुछ लोगोंने सैनिकोंपर पत्थर या लकड़ीके चैले फेंके और सैनिकोंने तुरन्त गोली चला दी। करीब बीस आदमी मारे गये और बहुत-से घायल हुए। स्वयं श्री सलारिया और श्री मकबूल महमूद बाल-बाल बच गये। सैनिक अधिकारीने इस बातपर खेद प्रकट किया कि जिस समय ये दोनों लोग भीड़के बीचमें थे और भीड़को तितर-बितर होने के लिए समझा-बुझाकर अधिकारियोंकी सहायता कर रहे थे, उस समय उसने गोली चलाने का आदेश दिया। इसके बाद भी मकबूल महमूद सिविल अस्पताल गये और वहाँसे घायलोंकी प्राथमिक चिकित्साके लिए डा० धनपत रायको अपने साथ लेकर लौटे। अस्पतालसे स्ट्रेचर भी आये थे, लेकिन कहा जाता है कि श्री प्लोमरने उन्हें यह कहकर वापस करवा दिया कि लोग इसका प्रबन्ध अपने-आप करेंगे। कुछ घायलोंको डा० किदारनाथके घर ले जाया गया। वे जनाना अस्पतालके निकट ही रहते थे। कहा जाता है कि श्रीमती ईस्डन[१] घायलोंको देखकर हँस पड़ी और बोली कि हिन्दू और मुसलमान जिस लायक थे उनके साथ वही हुआ। इसपर लोग अस्पतालमें घुस गये और श्रीमती ईस्डनको ढूँढ़ने की कोशिश करने लगे। लेकिन इसी बीच मौका पाकर श्रीमती बेंजामिनने उन्हें छिपा दिया था, और इस प्रकार भीड़से उनकी रक्षा हो पाई। उत्तेजित भीड़ने नेशनल बैंकको लूट लिया और उसके मैनेजर श्री स्टुअर्ट तथा एकाउन्टेन्ट श्री स्कॉटकी हत्या कर दी। जो भीड़ रेलवेके माल गोदाममें गई थी, उसने रेलवेके एक गार्ड श्री रॉबिन्सनकी हत्या कर दी। भीड़ने अलाएन्स बैंकपर भी हमला किया और जब उसके मैनेजर श्री थॉमसनने रिवाल्वरसे गोली चलाई तो भीड़ने क्रुद्ध होकर उन्हें मार डाला और उनकी लाशको नीचे फेंक दिया और बैंकके फर्नीचरके साथ ही उसे भी फूँक दिया। छावनीमें कामकरनेवाले एक इलेक्ट्रिशियन, सार्जेन्ट रॉलण्डको रिगो ब्रिजके पास मार डाला गया।

  1. म्युनिसिपल जनाना अस्पतालकी महिला डाक्टर।