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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

उन्होंने उसके विरुद्ध जो सफल आन्दोलन किया उससे काफी लोकप्रिय हो गये। रौलट अधिनियम विरोधी आन्दोलनमें इन दोनों नेताओंकी लोकप्रियता और भी बढ़ी। इन दोनोंने सत्याग्रहका समर्थन किया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि और जगहोंकी तरह ही अमृतसरमें भी रौलट आन्दोलन में धीरे-धीरे पहलेकी अपेक्षा बहुत ज्यादा लोग दिलचस्पी लेने लगे, और ज्यों-ज्यों यह आन्दोलन अधिक जोर पकड़ता गया त्यों-त्यों अपने अनवरत प्रयत्नोंके कारण ये दोनों नेता जनताके अधिक प्रिय होते गये।

२९ मार्च, १९१९ को पंजाब सरकारकी आज्ञासे डा॰ सत्यपालको सार्वजनिक सभाओं में बोलने से मना कर दिया गया और वे अमृतसरमें नजरबन्द कर दिये गये। जैसा कि पिछले अध्याय में कहा गया है, भारतके कुछ हिस्सों में ३० मार्चको भी हड़ताल हुई। और अमृतसर एक ऐसा ही स्थान था।

अमृतसरमें ३० मार्चको होनेवाली सभामें, सरकारी कथनके अनुसार ३०,००० से ३५,००० लोग शामिल हुए, लेकिन सभी रिपोर्टोंमें यह बात समान रूपसे कही गई है कि सभा शान्तिपूर्वक सम्पन्न हो गई, और एक भी अशोभनीय घटना नहीं हुई। सभामें जो लोग बोले, उन्होंने सभाके शान्तिपूर्ण और धार्मिक स्वरूपपर विशेष बल दिया। ये हैं डा॰ किचलूके शब्द जो उन्होंने अपने भाषणके अन्तमें कहे थे :

हम राष्ट्रीय हितोंके लिए अपने निजी स्वार्थीका बलिदान करनेको सदैव तैयार रहेंगे। महात्मा गांधीका सन्देश आपके सामने पढ़कर सुना दिया गया है। समस्त देशवासियोंको प्रतिरोध करनेके लिए तैयार हो जाना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं है कि इस पवित्र नगर या देशको खूनकी धारामें डुबो दिया जाये। हमारा प्रतिरोध अहिंसात्मक होना चाहिए। आप अपनी आत्माकी आवाजके अनुसार काम करनेको तैयार रहिए, हालाँकि इसके बदले आपको जेल भेजा जा सकता है, या आपपर नजरबन्दी आदेश लागू किया जा सकता है।
और फिर :
आप लोग किसीको पीड़ा या दुःख न पहुँचायें। शान्तिपूर्वक घर जाइए। बागमें टहलिए। किसी पुलिसवाले या किसी गद्दारके खिलाफ ऐसे कठोर शब्द न निकालिये जिससे उसे पीड़ा पहुँचे, या जिससे शान्ति भंग होनेकी सम्भावना पैदा हो जाये।

लेकिन सर माइकेल ओ'डायर अमृतसरकी हड़ताल और सभाके कारण बहुत असन्तुलित हो उठे। अतः उन्होंने डा॰ किचलूपर भी वही आदेश जारी कर दिया जो डा॰ सत्यपालपर किया था। इस आदेशपर ३ अप्रैलकी तारीख पड़ी है और उसमें कहा गया है कि :

जबतक और कोई आदेश न दिया जाये तबतक डा॰ किचलू (क) अमृतसर शहरकी म्युनिसिपल सीमामें रहेंगे, (ख) समाचारपत्रोंके साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे कोई सम्पर्क न रखेंगे, और (ग) किसी सार्वजनिक सभाका