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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

हड़ताल बिलकुल ऐच्छिक और स्वतःस्फूर्त थी। मैंने गत २४ मार्चको मद्रासमें निम्नलिखित सन्देश प्रकाशित करनेके अलावा उक्त विचारको प्रचारित करनेके लिए कोई कार्रवाई नहीं की:

जैसा कि मैंने कई सभाओं में बतानेका प्रयास किया है, सत्याग्रह तत्त्वत: एक धार्मिक आन्दोलन है। यह शुद्धिकरण और प्रायश्चित्तकी एक प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य है स्वयं कष्ट सहकर सुधार करवाना या शिकायतें दूर करवाना; इसलिए में सुझाव देना चाहता हूँ कि १९१९के विधेयक संख्या २को वाइसरायकी स्वीकृति प्रकाशित होनेके बाद दूसरे रविवार (अर्थात् ६ अप्रैल) का दिन प्रतिष्ठा-भंग और प्रार्थनाके रूप में मनाया जाये। चूंकि इस दिवसके अनुरूप ही एक कारगर सार्वजनिक प्रदर्शन भी होना चाहिए, अत: में निम्नलिखित सलाह देना चाहता हूँ:

(१) जिनके सामने धार्मिक या स्वास्थ्य-सम्बन्धी व्यवधान न हों, ऐसे सभी वयस्क स्त्री-पुरुष पिछली रातके भोजनके बादसे आरम्भ करके २४ घंटेका उपवास रखें। यह उपवास किसी भी रूप में भूख-हड़ताल नहीं माना जाना चाहिए, और न यही कि इसका उद्देश्य सरकारपर कोई दबाव डालना है। इसे तो सत्याग्रहियोंके लिए एक आवश्यक आत्मानुशासन मानना चाहिए जो उन्हें उनको शपथमें उल्लिखित सविनय अवज्ञा करनेके योग्य बनायेगा। अन्य लोगोंके लिए यह उपवास उनकी चोट खाई हुई भावनाकी तीव्रताका एक छोटा-सा प्रतीक माना जाये।

(२) सार्वजनिक हितके कामोंको छोड़कर शेष सारे काम उस दिन स्थगित रख जायें। बाजार और व्यापारिक संस्थान बन्द रखे जायें। जिन कर्मचारियोंको रविवारको भी काम करना पड़ता है, वे अपने मालिकोंसे पहलेसे अनुमति लेनेके बाद ही काम स्थगित करें।

मैं बिना हिचक इन दो सुझावोंको सरकारी नौकरोंसे भी अपनानेकी सिफारिश करता हूँ। कारण, यद्यपि यह निःसन्देह बिलकुल ठीक है कि वे राजनीतिक चर्चा और सभाओं में भाग न लें, लेकिन मेरी रायमें उन्हें यह असन्दिग्ध अधिकार भी प्राप्त है कि जब प्रश्न बहुत महत्त्वपूर्ण हों तो वे, जैसा मैंने यहाँ बताया है, वैसे सर्वथा सीमित तरीके से अपनी भावनाएँ व्यक्त करें।

(३) उस दिन भारतके सभी भागों में, यहाँतक कि गाँवों में भी, सार्वजनिक सभाएँ की जायें, जिनमें दोनों विधेयकोंको वापस लेनेकी प्रार्थना करते हुए प्रस्ताव पास किये जायें।

यदि मेरी सलाह स्वीकार करने योग्य समझी जाये, तो संगठन करनेका आवश्यक काम हाथ में लेने की पहली जिम्मेदारी विभिन्न सत्याग्रह संघोंपर होगी, लेकिन मैं आशा करता हूँ कि अन्य सभी संघ और संगठन भी इस प्रदर्शनको सफल बनाने में हाथ बँटायेंगे।