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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्मतिमें किसी भी स्वाभिमानी आदमीको ऐसी कोई चीज बरदाश्त नहीं हो सकती जो सारे समाजके सम्मानपर किया गया एक प्रहार हो। जनता द्वारा एकमतसे इस विधेयकका विरोध किये जाने के बावजूद सरकारने उसे कानून बनाकर अपने अपराधकी रही-सही कसर पूरी कर दी। हम यह भी देखते हैं कि अध्यादेश जारी करनेकी सत्ताकी रूसे वाइसरायको असाधारण परिस्थितियोंका सामना करनेके लिए पर्याप्त अधिकार प्राप्त हैं। एक उदार सुधार-योजनाके[१] लागू किये जानेके अवसरपर सरकारने अराजकतासे निबटनेके लिए--मानो अराजकताकी स्थिति भारतमें अपवाद न होकर नियम-रूप हो--एक असाधारण कानूनको विधि-पुस्तकमें शामिल करके सरासर अनुचित काम किया है।

अध्याय ४

सत्याग्रह

इस रौलट अधिनियमको लेकर कौंसिल भवनके भीतर भारतीय सदस्योंने और बाहर भारतीय अखबारोंने विरोधका ऐसा तूफान खड़ा कर दिया था जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था और इसी अधिनियमका प्रतिरोध करनेके लिए श्री गांधीने अपना सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ किया।

सत्याग्रह क्या है और इसका प्रयोग किस प्रकार किया जाता है, लोगोंको इसका एक धुँधला-सा ही ज्ञान है। अत: हम सत्याग्रहके प्रणेताके ही शब्दोंमें एक विशेष लेखके रूपमें उसे नीचे दे रहे हैं, जो उन्होंने हमारे लिए तैयार किया है:

पिछले तीस वर्षांसे में सत्याग्रहका उपदेश देता और उसपर अमल करता रहा हूँ। सत्याग्रहको जिस रूप में मैं आज समझता हूँ उसके अनुसार सत्याग्रहके सिद्धान्त क्रमिक रूपसे विकसित होते रहते हैं।

'सत्याग्रह' शब्द मैंने दक्षिण आफ्रिकामें उस शक्तिको अभिव्यक्त करनेके लिए गढ़ा था[२] जिसका प्रयोग वहाँके भारतीयोंने पूरे आठ वर्षातक[३] किया था और इस शब्दको इसलिए गढ़ा गया था कि इसमें और उस समय इंग्लैंड और दक्षिण आफ्रिकामें अनाक्रामक प्रतिरोधके नामसे चलनेवाले आन्दोलनमें अन्तर व्यक्त किया जा सके। व्युत्पत्तिकी दृष्टिसे इसका अर्थ है "सत्यपर आग्रह" अर्थात् सत्यबल। मैंने इसे प्रेमबल या आत्मबल भी कहा है। सत्याग्रहको व्यवहारमें लाते समय इसके आरम्भिक चरणों में मैंने यह बात जानी कि सत्यकी खोजमें अपने विरोधीके विरुद्ध किसी प्रकारकी हिंसाके लिए कोई गुंजाइश नहीं है, बल्कि विरोधीको

  1. सन् १९१९ के भारत सरकार अधिनियम (गवर्नमेंट आफ इंडिया ऐक्ट) में सन्निहित मोण्टेग्यु चैम्सफोर्ड सुधार।
  2. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ २३ तथा १२६-२७।
  3. १९०६ से १९१४ तक।