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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट


खण्ड २४ सरकारको "अपने आदेशोंपर अमल करवाने के लिए उचित तौरपर जरूरी लगनेवाले साधन" का प्रयोग करने का अधिकार देता है। इस प्रकार, जरासे सन्देहपर कोई अत्यन्त प्रतिष्ठित व्यक्ति भी अपनेको पूर्णतया पुलिसकी कृपापर निर्भर पायेगा। यदि यही निरोध है तो फिर यह रोगसे भी बुरा है, और यह एक ऐसा निरोध है जिससे वह रोग निरुद्ध होने के बजाय उभरेगा ही जिसकी रोक-थाम करना इसका उद्देश्य है।

यह भाग २ स्थानीय सरकारपर रोक लगानेके उद्देश्यसे एक विशेष यन्त्रको जन्म देता है। इस यन्त्रको तहकीकात-मण्डल कहा गया है। इस मण्डलका काम होगा स्थानीय सरकार द्वारा खण्ड २२ के अन्तर्गत जारी किये गये आदेशोंपर पुनर्विचार करना, और इस उद्देश्यसे ऐसे आदेशोंकी, अनिवार्यत: गुप्त रूपसे जाँच करना।

यह मण्डल प्रत्येक मामलेमें अपनी कार्यवाहीके किसी चरणमें सम्बन्धित व्यक्तिको अपने सामने उपस्थित होनेका एक उचित अवसर देगा, और वह व्यक्ति यदि इस तरह उपस्थित होगा तो उस व्यक्तिको इसके विरुद्ध लगाये गये अभियोगके बारेमें बतायेगा।

खण्ड २६, जिसमें से हमने ऊपरका उद्धरण लिया है, विशेषरूपसे इस बातकी व्यवस्था करता है कि जिस व्यक्तिके विरुद्ध इस प्रकार अभियोग लगाया गया हो, उसका प्रतिनिधित्व कोई वकील नहीं कर सकता, और "न स्थानीय सरकारको ही किसी वकीलसे अपना पक्ष प्रस्तुत करवानेका अधिकार होगा।" इस खण्डमें मण्डलके लिए यह निर्देश भी है कि वह "सम्बन्धित व्यक्तिको ऐसा कोई तथ्य न बताये जिसके बताये जाने से सार्वजनिक सुरक्षा या किसी व्यक्तिकी सुरक्षाको खतरा हो सकता हो।" यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि ऐसे व्यक्तियोंके लिए सामान्यत: प्रयुक्त होनेवाला शब्द "अभियुक्त" इस भागमें प्रयुक्त नहीं किया गया है और फिर भी सम्बन्धित व्यक्तिको बाजाब्ता सुनवाईकी तमाम असुविधाओंसे गुजरना पड़ता है जबकि उसे ऐसी सुनवाईके समय दी जानेवाली कोई वास्तविक सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई है। तो यदि यह "सम्बन्धित व्यक्ति"

तहकीकात-मण्डलसे किसी व्यक्तिको उपस्थित करने अथवा कोई दस्तावेज या वस्तु पेश करनेकी प्रार्थना करता है, तो वह उस व्यक्तिको उपस्थित करायेगा या उस दस्तावेज या वस्तुको पेश करायेगा, बशर्ते कि वह ऐसे किन्हीं कारणोंसे, जिन्हें वह लिखित रूपमें वर्ज कर देगा, यह सब करना गैरजरूरी न समझे।

गोया न्यायका इतना सब मजाक काफी नहीं हो, खण्ड २६ में आगे यह व्यवस्था भी की गई है कि "जाँच करते समय यह मण्डल साक्ष्य कानूनके नियमोंका पालन करनेको बाध्य नहीं होगा।" इसपर हम यह कहनेकी हिमाकत करेंगे कि उक्त उद्धृत खण्ड द्वारा जैसी स्वेच्छाचारपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी गई है, उसमें वह व्यक्ति भी निष्पक्ष न्याय नहीं कर सकता जो पूरी तरह न्यायकी परम्पराओंसे बँधा हुआ हो।